टेंडर विवाद: नगर निगम की निविदा में अनियमितता को लेकर नगर आयुक्त से मिला पार्षदों का शिष्टमंडलनगर निगम से विकास योजनाओं के लिए जारी निविदाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर गुरुवार को पार्षदों का शिष्टमंडल नगर आयुक्त शुभम कुमार से मिला. पार्षदों ने आरोप लगाया कि टेंडर जारी करने में गंभीर लापरवाही बरती गयी है, जिससे जनप्रतिनिधियों और वार्ड की जनता में असंतोष है. शिष्टमंडल ने बताया कि किसी वार्ड में केवल 22 लाख, किसी में 40-50 लाख और कुछ वार्डों में एक से डेढ़ करोड़ तक की योजनाओं के लिए टेंडर जारी किया गया है. इससे वार्डवार असमानता साफ दिख रही है. पार्षदों ने कहा कि इस तरह का विभाजन जनप्रतिनिधियों और जनता के साथ अन्याय है. बता दें कि यह विवाद निविदा जारी होने के साथ शुरू हो गया था और गहराता जा रहा था. बीते दिनों मेयर डॉ बसुंधरा लाल ने स्मार्ट वार्ड पार्षदों के विरोध पर कमिश्नर से हस्तक्षेप की मांग की थी और पत्र लिख कर संबंधित पार्षदों को उचित दिशा-निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया था. उनका यह भी कहना था कि यह स्थिति नगर निगम के समावेशी विकास के दृष्टिकोण के विपरीत है.
टेंडर रद्द करने का सुझाव और निकाला गया बीच का रास्ता
बैठक के दौरान नगर आयुक्त ने पार्षदों से पूछा कि क्या वे इस टेंडर को रद्द कराना चाहते हैं. पार्षदों ने स्पष्ट किया कि वे विकास के विरोधी नहीं है. इसलिए निविदा रद्द कराने के पक्ष में भी नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि जिन वार्डों की योजना 90 लाख से कम है, उनमें बची राशि को दूसरी योजनाओं में जोड़ा जाये. इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि फिलहाल इतनी राशि उपलब्ध नहीं है, लेकिन 60 लाख तक की योजना संभव है. आखिरकार यह सहमति बनी कि जिन वार्डों की योजना 70 लाख से कम है, वहां अतिरिक्त योजनाएं जोड़ी जायेंगी और दो दिन के अंदर नया टेंडर प्रकाशित होगा.शिष्टमंडल में शामिल पार्षद
इस दौरान स्थायी समिति सदस्य डॉ प्रीति शेखर और संजय कुमार सिन्हा, अशोक पटेल, अभिषेक मिश्रा, कुमकुम द्विवेदी, गोविंद बनर्जी, पार्षद प्रतिनिधि संजय कुमार तांती, मो सैफुल्लाह, बंटी अली और शशि मोदी मौजूद रहे.बोले पार्षद
स्थायी समिति सदस्य डॉ प्रीति शेखर व संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि नगर आयुक्त ने गंभीरता से सभी बिंदुओं को सुना और 70 लाख तक की योजना पर सहमति दी. साथ ही दो दिन में नया टेंडर प्रकाशित करने का आश्वासन दिया है.गोविंद बनर्जी ने कहा कि हम विकास विरोधी नहीं बल्कि विकास समर्थक है. यदि विरोधी होते तो टेंडर रद्द करने के प्रस्ताव पर सहमति जता देते, लेकिन हमने अतिरिक्त योजना का विकल्प चुना.
अभिषेक मिश्रा ने आरोप लगाया कि मेयर ने अपने वार्ड को प्राथमिकता दी और अन्य वार्डों की उपेक्षा की है. हालांकि, नगर आयुक्त ने निष्पक्ष पहल कर संतुलन बनाया है.कुमकुम द्विवेदी और अशोक पटेल ने कहा कि वार्डों की अनदेखी किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उन्होंने यह भी कहा कि मेयर द्वारा पार्षदों को विकास विरोधी कहना सरासर गलत है.
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