-पुरातत्व विभाग के लिए अर्जित होगी जमीन, किसी परिवार का नहीं होगा विस्थापन-एसआइए और राजस्व एवं कृषि पदाधिकारियों की संयुक्त टीम के स्थल निरीक्षण की रिपोर्ट पर जारी हुई अधिघोषणा विक्रमशिला विश्वविद्यालय के लिए जमीन अधिग्रहण का काम अब निर्णायक मोड़ पार कर चुका है. 17 रैयतों की जमीन की अर्जन होगी. कहलगांव अंचल स्थित अंतीचक मौजा में विक्रमशिला विश्वविद्यालय ऐतिहासिक स्थल के समीप प्रस्तावित केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए 4.29 एकड़ भूमि की आवश्यकता बतायी गयी है. जिला भू-अर्जन कार्यालय की ओर से इस संबंध में अधिघोषणा जारी कर दी गयी है. जारी अधिसूचना के अनुसार कुल 4.29 एकड़ है, जिसमें 17 रैयतों की जमीन शामिल है.
आपत्तियों और जांच के बाद अधिघोषणा
भू-अर्जन कार्यालय की ओर से यह अधिघोषणा संबंधित हितबद्ध व्यक्तियों की आपत्तियों को सुनने और जांच की सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद जारी की गयी है. सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआइए) रिपोर्ट के तहत राजस्व एवं कृषि पदाधिकारियों की संयुक्त टीम ने स्थल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.भूमि अधिग्रहण से किसी परिवार का विस्थापन नहीं
जांच रिपोर्ट और स्पेशल टीम द्वारा सौंपी गयी मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित भूमि अर्जन से किसी भी परिवार का विस्थापन नहीं होगा. पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन की आवश्यकता को शून्य बताया गया है. यह भूमि विश्वविद्यालय परियोजना के नये परिसर और विक्रमशिला खंडहर क्षेत्र के बीच स्थित है, जिससे योजना को गति मिलेगी.पुरातत्व विभाग के लिए अर्जित की जा रही जमीन
विक्रमशिला विश्वविद्यालय के लिए जमीन अधिग्रहण पुरातत्व विभाग के लिए की जा रही है. रैयतों की जमीन मुआवजा राशि वितरण करने के बाद हस्तांतरित की जायेगी. इसमें सुनिता देवी, सत्यव्रत सत्य, नितू देवी, खुशबू देवी, गूंजा कुमार, गीता देवी, सविता देवी, रीता देवी, सुमित्रा देवी, दिलीप कुमार कुशवाहा, अशोक कुमार नेपाली, अभिनंदन कुमार, नीरा देवी, वृंदा देवी, कल्पना देवी सहित दर्जनों परिवार है. एक-एक व्यक्ति की टुकड़ों में कई जगहों पर जमीन है.विजय घाट पुल के अप्रोच के लिए तेतरी में 1.105 एकड़ अर्जित होगी भूमि, अधिसूचना जारी
कोसी नदी पर विजय घाट के उच्चस्तरीय पुल के पहुंच पथ के लिए नवगछिया के मौजा तेतरी में 1.105 एकड़ भूमि सार्वजनिक प्रयोजन के लिए अर्जित करने की योजना बनायी गयी है. इसके पहले इस परियोजना के लिए मौजा तेतरी में 41.7225 एकड़ भूमि पहले ही अर्जित की जा चुकी है. अर्जनाधीन भूमि संबंधित अर्जित क्षेत्र के मार्ग रेखन के अंदर स्थित है. प्रारंभ में खतियानी प्रविष्टि के आधार पर यह भूमि अनावाद, बिहार सरकार के खाते की भूमि मानी गयी थी और इसलिए भू-अर्जन प्रक्रिया में शामिल नहीं की गयी थी.
जांच के बाद यह भूमि रैयती भूमि पायी गयी है और अब इसका अर्जन अपेक्षित है. चूंकि भूमि रैयती है, इसलिए सामाजिक अध्ययन (एसआइए) नहीं कराया गया. अधिसूचना के अनुसार भू-अर्जन से किसी परिवार का विस्थापन नहीं होगा. इस भूमि में चार रैयत हैं, जिनसे करीब दर्जन परिवार संबंधित हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

