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आजाद हुआ मीठू, पकड़नेवाला पिंजरे में कैद

भागलपुर : मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने कहलगांव रेलवे स्टेशन पर तोता बेचने के मामले की सुनवाई करते हुए विक्रेता मो अजहर को जेल भेज दिया. अदालत ने सुंदरवन में जब्त 18 तोता यानी मीठू को आजाद करने का निर्देश दिया. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत जारी निर्देश में कहा गया कि भागलपुर […]

भागलपुर : मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने कहलगांव रेलवे स्टेशन पर तोता बेचने के मामले की सुनवाई करते हुए विक्रेता मो अजहर को जेल भेज दिया. अदालत ने सुंदरवन में जब्त 18 तोता यानी मीठू को आजाद करने का निर्देश दिया. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत जारी निर्देश में कहा गया कि भागलपुर व आसपास का इलाका वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम अधिनियम के तहत रिजर्व इलाका है.

यहां पर खास वर्ग के पशु-पक्षी को पकड़कर खरीदना-बेचना वर्जित है. विक्रेता मो अजहर ने तोता को पिंजरे में कैद किया और उसे रेलवे स्टेशन पर बेचने के लिए आया, जो कानून के खिलाफ है. कोर्ट के आदेश से शनिवार को सुंदरवन में पिंजरे में बंद 18 तोते को आजादी मिल जायेगी.
यह था मामला : कहलगांव स्टेशन पर आरपीएफ ने हबीबपुर निवासी पक्षी विक्रेता मो अजहर को गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से पिंजरे में बंद 18 तोता मिला था. आरपीएफ ने पक्षी व्यवसायी व जब्त तोते को वन विभाग को सौंपा था. वन विभाग ने अजहर के खिलाफ वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज कर उसे कोर्ट में पेश किया था.
यह भी जानकारी अहम: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972
प्रावधान: पर्यावरण व वन मंत्रालय स्तर से तोता, मोर आदि की रक्षा व संरक्षण को लेकर दिये आदेश
वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत मोर, तोता सहित वन्य जीवों के शिकार और उनके व्यावसायिक शोषण के खिलाफ कानूनी संरक्षण उपलब्ध कराया है. सरंक्षण और खतरे की स्थिति के अनुसार वन्य जीवों को कानून की विभिन्न अनुसूचियों में रखा गया है. इसमें मोर, कानून की अनुसूची-1 में रखे गये हैं, जिससे कानून के तहत इन्हें सबसे ज्यादा सरंक्षण की मिलता है.
दंड: वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 अपने प्रावधानों के उल्लंघन संबंधी अपराधों के लिए दंड की व्यवस्था का प्रावधान करता है. वन्य जीवों के प्रति अपराध करने के लिए इस्तेमाल किये गए किसी भी उपकरण, वाहन या हथियार को जब्त करने का भी इस कानून में प्रावधान है.
नियंत्रण: वन्य जीवों के शिकार और वन्य जीवों तथा उनके उत्पादों के अवैध कारोबार पर नियंत्रण के लिए वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो का गठन किया गया है.

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