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टीएमबीयू को 300 रिसर्च का प्रस्ताव मिला

भागलपुर : तिलकामांझी विश्वविद्यालय में शुक्रवार काे कुलपति डाॅ विभाष चंद्र झा की अध्यक्षता में पाेस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल (पीजीअारसी) की बैठक हुई. बैठक में विभिन्न संकाय के डीन व पीजी विभागों के एचआेडी ने 300 शाेध के प्रस्ताव रखे. कुलपति ने संबंधित संकाय के डीन अाैर विभाग के एचओडी काे निर्देश दिया कि पांच […]

भागलपुर : तिलकामांझी विश्वविद्यालय में शुक्रवार काे कुलपति डाॅ विभाष चंद्र झा की अध्यक्षता में पाेस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल (पीजीअारसी) की बैठक हुई. बैठक में विभिन्न संकाय के डीन व पीजी विभागों के एचआेडी ने 300 शाेध के प्रस्ताव रखे.

कुलपति ने संबंधित संकाय के डीन अाैर विभाग के एचओडी काे निर्देश दिया कि पांच अगस्त तक सभी प्रस्ताव का मूल्यांकन करें. साथ ही जो शाेध प्रस्ताव मानकाें पर सही उतरता हाे, उसे पीजीअारसी की अगली बैठक में रखा जाये. कुलपति ने यह भी कहा कि काउंसिल की अगली बैठक में पीजी विभाग या संबंधित विषय के सभी प्राेफेसर शामिल हाेंगे.
अब तक इस बैठक में विभाग के पहले अाैर दूसरे वरीय प्राेफेसर ही शामिल हाेते थे. लेकिन कुलपति ने कहा कि विवि एक्ट में एेसा काेई प्रावधान नहीं है. बैठक में प्रतिकुलपति प्रो रामयतन प्रसाद, प्रॉक्टर डॉ विलक्षण रविदास समेत सभी संकाय के डीन व पीजी विभाग के एचओडी शामिल हुए.
संस्कृत शोध की थिसिस हिंदी में देख नाराज हुए कुलपति
पाेस्ट ग्रेजुएट रिसर्च काउंसिल की बैठक में संस्कृत में शाेध का एक ऐसा थीसिस बैठक में रखा गया जिसे हिंदी भाषा में तैयार किया गया था. कुलपति ने जब थीसिस को देखा तो इस पर आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा कि शाेध संस्कृत में हाेना है ताे थीसिस हिंदी में क्याें तैयार किया गया.
कुलपति ने थीसिस को नामंजूर करते हुए इसे संस्कृत भाषा में तैयार करने को कहा. संस्कृत के इस थीसिस को डेढ़ साल पहले जमा किया गया था. इससे पहले हुई पीजीअारसी की बैठक में भी थीसिस में सुधार का निर्देश दिया गया था.
रिसर्च नहीं करा रहे शिक्षकों को फटकार
बैठक में कुलपति को बताया कि दर्जनों ऐसे शिक्षक हैं जाे शोधकार्य में रुचि नहीं ले रहे हैं. एेसे कई शिक्षक हैं जिनके पास सीटें रिक्त हैं लेकिन वह रिसर्च के इच्छुक छात्राें काे मना कर रहे हैं.
छात्रों को कहा जा रहा है कि रिसर्च के लिए सीट खाली नहीं है. कुलपति ने सभी संकाय के डीन अाैर पीजी विभाग के एचओडी से कहा कि शोधकार्य कराना ही होगा. 62 वर्ष तक की उम्र वाले शिक्षकाें के लिए यह और जरूरी है.
डीलिट के लिए राजभवन के निर्देश का इंतजार
पीअारअाे डाॅ एसडी झा ने बताया कि बैठक में कुलपति ने कहा कि डी लिट कोर्स के लिए राजभवन के निर्देश का इंतजार है. नये नियम तय किये गये हैं. कहा गया कि डीलिट के पुराने प्रस्ताव को अभी स्वीकृति नहीं मिलेगी. टीएनबी काॅलेज के इतिहास विभाग की शिक्षक डाॅ अर्चना साह की डी लिट का मामला भी रखा गया. इस पर फिलहाल काेई निर्णय करने से कुलपति ने इंकार कर दिया.

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