भागलपुर : पुलवामा अटैक होने के बाद से भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक संबंध पर असर पड़ा. एक ओर जहां पाकिस्तान से छोहरा आना बंद हो गया तो यहां पर डेढ़गुना भाव बढ़ गया, वहीं दूसरी ओर भागलपुर से दिल्ली के रास्ते सिल्क, लिनेन व कॉटन के कपड़े का निर्यात होता था, जो संबंध बिगड़ने के साथ ही बंद हो गया.
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भागलपुरी सिल्क का पाक निर्यात बंद
भागलपुर : पुलवामा अटैक होने के बाद से भारत-पाकिस्तान के व्यापारिक संबंध पर असर पड़ा. एक ओर जहां पाकिस्तान से छोहरा आना बंद हो गया तो यहां पर डेढ़गुना भाव बढ़ गया, वहीं दूसरी ओर भागलपुर से दिल्ली के रास्ते सिल्क, लिनेन व कॉटन के कपड़े का निर्यात होता था, जो संबंध बिगड़ने के साथ […]
बुनकर प्रतिनिधि अलीम अंसारी ने बताया कि भागलपुर में बने लिनेन व कॉटन के कपड़े का निर्यात प्रति माह 25 से 30 लाख रुपये का होता है. वहीं पांच से 10 लाख रुपये के तसर सिल्क के कपड़े का भी निर्यात होता है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के जामा मस्जिद क्षेत्र से पाकिस्तान निर्यात किया जाता है. वहीं दूसरे बुनकर प्रतिनिधि मो इबरार अंसारी ने बताया कि 80 से 90 के दशक में करोड़ों का टर्न ओवर था, जबकि अभी बहुत गिरावट आयी है.
सिल्क व लिनेन के थोक कारोबारी प्राणेश राय ने बताया कि पाकिस्तान में भागलपुर में तैयार फैंसी स्टॉल बहुत पसंद किये जाते हैं. खासकर पाकिस्तान के बड़े महानगरों लाहौर, रावलपिंडी, इस्लामाबाद में लोग इसे इस्तेमाल करते हैं. भागलपुर के कपड़े का निर्यात बंद होने से भागलपुर के बुनकरों व कारोबारियों को कोई खास दु:ख नहीं है. देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम के बाद ही कोई बात होती है.
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