- सबसे अधिक जगदीशपुर सदर में हुआ है ऑनलाइन आवेदन
- 16 अंचलों में सात में आवेदन को लेकर एक भी आदेश पारित नहीं
- कुछ अंचल में डिजिटल हस्ताक्षर को लेकर भी मामले हैं लंबित
- एक आवेदक का दो
- से तीन बार भी आ रहा है आवेदन
- पुरानी रजिस्ट्री में अलग-अलग खसरा में जमीन के अंश का नहीं है जिक्र
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भागलपुर : कोई लॉगिन नहीं जानता, तो कोई कर नहीं पाता फारवर्ड, अब तक 7 अंचलों में नहीं शुरू हो सका ऑनलाइन म्यूटेशन
भागलपुर : ऑनलाइन दाखिल-खारिज शुरू हुए कई दिन बीत चुके हैं. मगर इसके हाल की पड़ताल करें तो ठीक नहीं है. आंकड़े पर गौर करें तो सबसे अधिक जगदीशपुर सदर में दाखिल-खारिज का ऑनलाइन आवेदन हुआ है. सबौर व नाथनगर अंचल में आवेदन की संख्या भी अन्य अंचलों के मुकाबले अधिक हैं. इन आवेदनों के […]
भागलपुर : ऑनलाइन दाखिल-खारिज शुरू हुए कई दिन बीत चुके हैं. मगर इसके हाल की पड़ताल करें तो ठीक नहीं है. आंकड़े पर गौर करें तो सबसे अधिक जगदीशपुर सदर में दाखिल-खारिज का ऑनलाइन आवेदन हुआ है. सबौर व नाथनगर अंचल में आवेदन की संख्या भी अन्य अंचलों के मुकाबले अधिक हैं. इन आवेदनों के मुकाबले अंचल वाइज निबटारे की बात करें तो नतीजे रोचक हैं.
जिले के 16 में से 7 अंचल में आवेदन के एवज में आदेश पारित का खाता भी नहीं खुला है. ऑनलाइन को लेकर आवेदक जितने कंफ्यूज हैं, उससे अधिक ऑनलाइन निबटारा करनेवाले भी हैं. अंचल भी जिम्मेदार के कंप्यूटर में पूरी तरह एक्सपर्ट नहीं होने से तरह-तरह की दिक्कतें आ रही हैं. कोई कंप्यूटर Log In करना नहीं जानता तो कोई आवेदन Forward नहीं कर पाता है.
कई अंचल अधिकारी का कंप्यूटर Log In होने पर भी फंस जाता है. आवेदन Forward को लेकर संबंधित कर्मी के डिजिटल हस्ताक्षर नहीं होने की समस्या है. सबसे अधिक जमाबंदी को लेकर डाटा के सही फीडिंग नहीं होना भी अड़चन बना हुआ है. डाटा फीड के बाद कर्मचारी की मदद से उसका मिलान नहीं कराया गया और आनन-फानन में ऑनलाइन म्यूटेशन शुरू करने की घोषणा कर दी गयी. गड़बड़ फीड होने पर आवेदन में दिखायी गयी जमीन का मिलान नहीं हो पाता है.
ये हैं पांच तरह की दिक्कतें
1. पुरानी रजिस्ट्री में खसरा वाइज जमीन का अंश का जिक्र नहीं : पूर्व की जमीन रजिस्ट्री में मिलजुमला रकबा (अलग-अलग खसरा वाइज रकबा का जिक्र न होना) का उल्लेख था. इस तरह की रजिस्ट्री के ऑनलाइन फीडिंग में खसरा वाइज रकबे की डिमांड होती है. इस कारण आवेदन लंबित रह जाता है. जो बाद में रिजेक्ट कर दिया जाता है. मिलजुमला रकबा वाले मामले में आवेदक को दोबारा संबंधित जमीन की रजिस्ट्री खसरा वाइज रकबा दिखाते हुए कराना होता है.
2. हलका कर्मचारियों में कंप्यूटर दक्षता नहीं, निजी मुंशी के भरोसे काम : अंचल स्तर पर कार्यरत हलका कर्मचारी कंप्यूटर दक्ष नहीं है. हलका कर्मचारियों का काम निजी मुंशी के भरोसे है. ये मुंशी भी पुराने हो गये हैं, जिन्हें नये दाखिल-खारिज की जानकारी अभी हो नहीं पायी है.
3. हलका कर्मचारियों के डिजिटल हस्ताक्षर का अभाव : ऑनलाइन प्रक्रिया में संबंधित अफसर या कर्मी का डिजिटल हस्ताक्षर होता है. आवेदन के ऑनलाइन होने पर उसका आगे बढ़ना भी डिजिटल हस्ताक्षर के बगैर नहीं होगा.
4. ऑनलाइन साॅफ्टवेयर में छोटी तकनीकी दिक्कत का पटना में होता है निबटारा : ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में छोटी तकनीकी दिक्कत होने पर उसके निबटारे के लिए पटना जाना होता है. वर्तमान में तकनीकी दिक्कत में लॉग इन फंसना, फॉरवार्ड के समय डाटा रुक जाना है.
5. एक व्यक्ति का तीन-तीन बार आवेदन होना : ऑनलाइन मामले में एक व्यक्ति का तीन-तीन बार आवेदन कर दिया गया. निजी स्तर पर ऑनलाइन होने के कारण ऑपरेटर आवेदक को यह नहीं बताते हैं कि पूर्व में आवेदन पर कार्रवाई शुरू हो गयी है. इस भ्रम में एक ही रजिस्ट्री का दोबारा ऑनलाइन दाखिल-खारिज का आवेदन कर देते हैं.
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