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जेएलएनएमसीएच : इलाज के दौरान हुई थी पूर्व जिप सदस्य के बेटे की मौत, डॉक्टर पर इरादतन हत्या का केस
भागलपुर : 25 अक्तूबर को सड़क दुर्घटना में घायल मधेपुरा चौसा के बनवारी कुमार (18) को भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में भर्ती कराया गया था. 26 अक्तूबर को अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान छात्र की मौत हो गयी. पिता मनोज राणा ने चिकित्सक पर इरादतन हत्या का आरोप लगाते हुए बरारी थाने में केस […]
भागलपुर : 25 अक्तूबर को सड़क दुर्घटना में घायल मधेपुरा चौसा के बनवारी कुमार (18) को भागलपुर स्थित मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में भर्ती कराया गया था. 26 अक्तूबर को अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान छात्र की मौत हो गयी. पिता मनोज राणा ने चिकित्सक पर इरादतन हत्या का आरोप लगाते हुए बरारी थाने में केस दर्ज कराया है. बरारी थाने में दिये आवेदन में मनोज राणा ने लिखा है कि उनका पुत्र बनवारी कुमार (हंसराज राणा) घर जाने के क्रम में सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था.
चौसा स्थित पीएचसी में इलाज के बाद उसे मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया गया. रात 10 बजे तक उपचार के बाद अगले दिन 26 अक्तूबर को सुबह अल्ट्रासाउंड कराया गया. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आने के बाद डाॅ सीएम सिन्हा ने उन्हें बनवारी के ऑपरेशन के लिए दो यूनिट ब्लड की व्यवस्था करने को कहा. उन्होंने डाॅक्टरों से कुछ वक्त की मांग की, ताकि आपस में सलाह मशविरा कर सके. पिता के मना करने के बावजूद बेटे को डाॅ सीएम सिन्हा की यूनिट (सीओटी) ले जाया गया.
पूछने पर डाॅक्टर ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया और रिपोर्ट भी नहीं दिखायी. पूछने पर डाॅक्टर ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट साफ नहीं होने के बावजूद बनवारी के पेट में तीन छेद होने की बात कही. इमोशनल दबाव बना कर ऑपरेशन नहीं करने की स्थिति में एक घंटे में मर जाने की बात कही. भावुक होकर उनके भाई ने ऑपरेशन पेपर पर हस्ताक्षर कर दिया.
जब तक ब्लड की व्यवस्था होती, उससे पूर्व ही डाॅ सीएम सिन्हा और जूनियर टीम ने ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन शुरू कर दिया. 50 मिनट तक चले आॅपरेशन के बाद उनके पुत्र को मृत बाहर लाया गया. आॅपरेशन से पूर्व बनवारी पूरी तरह चल फिर और बातचीत कर रहा था. थानाध्यक्ष रोहित सिंह ने उच्च अधिकारियों से जांच कराने की बात कही.
मौत के बाद परिजनों ने किया था हंगामा
मधेपुरा जिला के चौसा गांव के बनवारी कुमार की इलाज के दौरान हुई मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया था. 26 अक्तूबर को देर रात अस्पताल में हंगामे के बाद 27 अक्तूबर को परिजन शव लेकर अस्पताल में धरना पर बैठ गये थे. मौके पर पहुंचे अस्पताल अधीक्षक ने मृतक के पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों की टीम का गठन किया, तो परिजन पोस्टमार्टम कराने को तैयार हो गये थे.
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