सतीश कुमार पांडेय, नरकटियागंज
मल्दहिया गांव में मंगलवार को मातम की ऐसी काली छाया पड़ी की एक मां की चीख और बहनों की चीत्कार से पूरा का पूरा गांव दहल उठा. कौशर अंसारी के घर का दुआर एक साथ मां और बहनों के आंसुओं से नहा रहा था. मिसरून नेशा की दहाड़ और पाचं बहनों की चिल्लाहट हर किसी के आंखों में आंसू भरने लगे और सभी के मुंह से एक ही बात की चर्चा होने लगी की ऐसा नहीं होना चाहिए. हत्यारों ने एक हंसते खेलते परिवार की खुशिया और उम्मीदें छीन ली है.घर का इकलौता चिराग घर से कोसों दूर तौलाहा में रेल लाईन के किनारे खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था, उसे भयावह मैसेज के साथ जिसमें खुद उसी के मोबाइल से जिसमें उसने अपनी मां का नंबर अम्मी जान के नाम से सेव किया था. मां की मोबाइल पर वह आखिरी मैसेज था. मिसरून के मोबाइल पर 2:38 बजे मैसेज आया कि तोर बेटा हमरा लगे बा, जल्दी से दस लाख रूपया के इंतजाम कर दे, ना त तोरा बेटा के मार देम, जयादा होशियारी मत देखइहे, नात बेटा के लास्ट देखबे. तू बता की तेरे लिए पैसा बिग है की बेटा. 5 बजे तक इंतजाम कर होशियारी कइले त जान चल जाई रे. हमार आदमी तोरा गांव बा दो आदमी चौक पर आ तीन आदमी गांव में, तोर बेटा बेतिया में बा जल्दी से रिप्लाई दे.. मैसेज के बाद मोबाइल बंद हो गया और इसी के साथ बंद हो गयी वो आवाज जिसे सुन कर मिसरून, कौशर और पाचं बहने इठलाती रहती थी. आज बेटे की मौत की तस्वीर मोबाइल में देख परिजनों समेत गाव नगर की महिलाएं उस परिवार के साथ मुंह में कपड़ा दबा बिलख रही थी जिसके घर के इकलौते चिराग को चाकूओं से गोद कर और गला रेत हत्या कर दी गयी थी. हमार बाबु केहु के का बिगड़ले रहले हो दादा कि उनका के हमरा से छिन लेल सन की चीत्कार गांव वालों को आक्रोश में धकेल में रहा था. पुलिस के विरूद्ध सवाल उठ रहे थे. तीन दिनों तक अंधेरे में पुलिस द्वारा तीर चलाये जाने की बात कही जा रही थी. इम्तियाज की अम्मी जान को उसकी बहनों को गांव की महिलाएं रिश्तेदार खुद रोते बिलखते झूठा ढांढस बंधा रही थी कि अब इम्तियाज अपनी अम्मी जान के पास अब्बा जान के पास और बहनों के पास कभी नहीं आने वाला.
12 अप्रैल को लिख दी गयी थी इम्तियाज के मौत की पटकथा
मल्दहिया वार्ड संख्या 14 निवासी कौशर अंसारी के इकलौते पुत्र इम्तयाज के मौत की पटकथा अब से ठीक तीन दिन पहले 12 अप्रैल को ही लिख दी गयी थी. वह शनिवार का दिन था जब इम्तेयाज अपने घर पर अपनी पांच बहनों समीमा शहरीना, शहनाज, चांद तारा और सुब्बी के साथ हंसी ठिठोली कर रहा था. घर से ये कह कर गया कि वो अपने दोस्तो के साथ मटियरिया स्कूल में टीसी लेने जा रहा है. उसकी मां मिसरून नेशा ने टीसी लेकर जल्दी लौट कर आने को कहा. लेकिन दोपहर में जब उसके मोबाइल पर 2:38 बजे मैसेज आया और अपहरण के बाद फिरौती की दस लाख रूपये की मांग की गयी तो मामला गड़बड़ लगने लगा. परिजन किसी अनहोनी को लेकर उस वक्त और आशंकित हो गए जब इम्तेयाज का मोबाइल बंद मिलने लगा. मृतक की मां मिसरून नेशा ने शिकारपुर थाने में 12 अप्रैल को ही आवेदन सौंपा. पुलिस एफआइआर कर जांच में जुटी . शनिवार को ही इम्तेयाज के हम उम्र के 6 लड़कों समेत उसकी दादी हसीना खातुन को हिरासत में लिया गया. हालांकि पूछताछ के बाद उसी रात को हसीना खातुन को छोड़ दिया गया और दूसरे दिन सभी लड़कों को. रविवार को ही रात में बेतिया एसपी डा. शौर्य सुमन मृत छात्र के घर पहुंचे और परिजनों से पूछताछ की.
बुझ गया घर का इकलौता चिराग
इम्तियाज पांच बहनों के बीच और अपने मा बाप का इकलौता चिराग था. वह तीसरे स्थान पर था. उससे बड़ी दो बहने समीमा और शहरीना खातुन है जबकि शहनाज, चांद तारा और सुब्बी खातुन छोटी है. इम्तेयाज के अब्बा कौशर अंसारी कश्मीर के न्यू थीड हरबन में बढ़ई मिस्त्री का काम करते है. घर में कमाने वाला वो इकलौता व्यक्ति है. पाचं सौ रूपये प्रतिदिन कमाई करने वाले इम्तियाज के पिता कौशर और मां मिसरून नेशा की दहाड़ से मल्दहिया गांव दहल रहा है. कौशर को जब मोबाइल पर बेटे की मौत की सूचना मिली तो वह मोबाइल पर ही दहाड़ मार मार कर रोने लगा और कश्मीर से घर के लिए चल दिया. वहीं परिजनों की चीख और चीत्कार से पूरा का पूरा गांव गमगीन है.
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