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Begusarai News : वार्डों में छिड़काव व फॉगिंग युद्ध स्तर पर शुरू

शहर के पांच वार्डों में बाढ़ का पानी निकल जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है, मगर अब इन क्षेत्रों में दुर्गंध, मच्छरों और कीड़े-मकोड़ों का खतरा तेजी से बढ़ गया है.

बेगूसराय. शहर के पांच वार्डों में बाढ़ का पानी निकल जाने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है, मगर अब इन क्षेत्रों में दुर्गंध, मच्छरों और कीड़े-मकोड़ों का खतरा तेजी से बढ़ गया है. नगर निगम प्रशासन ने हालात से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर सफाई अभियान शुरू कर दिया है. बाढ़ प्रभावित मुहल्लों में चूना, ब्लीचिंग पाउडर और मच्छररोधी दवाओं का छिड़काव लगातार किया जा रहा है. नगर निगम के अनुसार, प्राथमिकता के आधार पर निचले इलाकों की सफाई और कीट नियंत्रण पर काम हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बाढ़ के पानी ने उनके घरों और गलियों को पूरी तरह प्रभावित कर दिया था. अब पानी निकल चुका है, लेकिन मोहल्ले के कई हिस्सों में अभी भी पानी जमा है. वहां खरपतवार सड़ने से दुर्गंध फैल गयी है. गंगा के जलस्तर में फिर से बढ़ोतरी ने चिंता और बढ़ा दी है. लोगों को डर है कि कहीं दोबारा जलस्तर बढ़ने से स्थिति फिर से न बिगड़ जाये. नगर निगम की टीम दिन-रात क्षेत्र में सक्रिय है और संक्रमण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है.

जलजमाव वाले मुहल्ले में बढ़ा बीमारियों का खतरा

बरसात के मौसम के वजह से जलजमाव वाले क्षेत्रों व बाढ़ प्रभावित वार्डों में मच्छर का प्रकोप काफी बढ़ जाने से लोग परेशान हो रहे हैं. शाम होते-होते मच्छरों के हमले से लोग आक्रांत हो रहे हैं. शहर के बाढ प्रभावित क्षेत्रों में मच्छरों का उत्पात काफी अधिक है.एक ओर जहां मच्छरों के प्रकोप बढने का कारण लोग जगह जगह जमे हुए बाढ़ के पानी को मान रहे हैं. हालांकि हर वर्ष जाड़े के मौसम में मच्छरों का प्रकोप घट जाता है और जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है मच्छरों की बाढ़-सी आ जाती है. इस वर्ष हर वर्ष की तुलना में मच्छरों से परेशानी काफी बढ़ी हुई है. अत्यधिक मच्छर बढ़ जाने से लोगों के समक्ष मच्छर जनित रोगों के शिकार हो जाने का भी भय सताने लगा है.

छिड़काव के बावजूद नहीं कम हुआ मच्छरों का आतंक

नगर निगम प्रशासन द्वारा चूना ब्लीचिंग का छिड़काव व मच्छररोधी रसायन का छिड़काव युद्ध स्तर पर जारी है.परंतु समस्या जस के तस बनी रहती है. लोगों का कहना है कि बदलते मौसम में भी मच्छररोधी का छिड़काव जरूरी है, क्योंकि यही वक्त होता है जब मच्छरों का प्रकोप बढ़ना आरंभ हो जाता है. यदि शुरुआत में ही मच्छररोधी का छिड़काव हो जाये तो मच्छरों के विकास में एक हद तक रोक लग सकती हैं. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता राघव कुमार का कहना है कि मच्छररोधी व चूना ब्लीचिंग का छिड़काव तो वार्ड नंबर 18 के सभी मुहल्लों में शुरू कर दी गयी है.इसके बावजूद मच्छरों के आतंक में कमी नहीं आ रही है. चिकित्सक शशिभूषण शर्मा का कहना है कि मच्छर के काटने से पांच तरह की प्रमुख बीमारियां फैलने का डर रहता है. इनमें कुछ बीमारी बरसात में फैलते है तो कुछ बीमारियां गर्मी के मौसम में भी हो सकती हैं. मलेरिया मच्छर के काटने से होने वाली सबसे आम और खतरनाक बीमारी है. यह गरमी के मौसम में भी हो सकती है. वहीं पीत ज्वर नामक बीमारी भी मच्छर जनित होते है, जिसे यलो बुखार भी कहा जाता है. वहीं बरसात में डेंगू बुखार का खतरा होता है. इसके साथ ही इंसेफेलाइटिस, चिकनगुनिया नामक बीमारी भी मच्छरों के काटने से ही होती है.

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