साहेबपुरकमाल. चैत्र नवरात्र पूजा के पांचवें दिन मां दुर्गा की पांचवें स्वरूप स्कंद माता की पूजा अर्चना की गयी. नवरात्र पूजा एवं दुर्गा पाठ की गूंज से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो गया. प्रखंड क्षेत्र के सादपुर पूर्वी, बजरंग चौक परोरा, श्रीनगर, कीर्तिटोल आहोक घाट और गोविंदपुर गांव के दुर्गा मंदिरों में संध्या आरती में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. दुर्गा पूजा सह मेला को लेकर दुर्गा पूजा कमेटी द्वारा मेला परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है और मेला को लेकर व्यापक तैयारी की जा रही है. सादपुर पूर्वी चैती दुर्गा पूजा कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर में प्रतिदिन विद्वान पंडित द्वारा मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा के साथ साथ सप्तसती दुर्गा पाठ की जा रही है. दुर्गा पूजा के अवसर पर दो दिवसीय मेला की तैयारी भी पूरी कर ली गयी है. मेला के अवसर पर दो दिन महा दंगल का कार्यक्रम होगा जबकि रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. मेला को शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने के लिए कमेटी द्वारा सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर ली गयी है. जबकि बजरंग चौक परोरा, श्रीनगर, गोविंदपुर सहित अन्य गांव में भी मेला को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है. वीरपुर. मुजफ्फरा स्थित महादेव मठ शिवनगर में चैती दुर्गा पूजा को लेकर पूजा समिति के बैनर तले बासंतिक नवरात्रि पर संध्या महाआरती का भव्य आयोजन किया जा रहा है. इसमें शामिल होने के लिए श्रद्धालु नर, नाड़ी की भीड़ उमड़ रही है. देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी से पहुंचे आचार्य नागेंद्र उरमलिया चीकू पाठक व विनोद तिवारी ने भगवती गीत जय अंबे गौरी, मईया जय शयमा गौरी आदि भजन पर मनमोहक आरती की प्रस्तुति दे रहे हैं. पूजा समिति के अध्यक्ष रौशन कुमार उर्फ संदीप ने बताया कि महाआरती कार्यक्रम का आयोजन 8 अप्रैल तक किया जायेगा. मैया की संध्या महाआरती इस स्थान के पूजा का मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. महाआरती के उपरांत महाप्रसाद का वितरण किया जाता है. सच्चे मन से मांगी सभी मुरादें पूरी होती है. उन्होंने बताया कि चार अप्रैल को देवी जागरण व पांच अप्रैल को मेले का विधिवत शुभारंभ किया जायेगा. इस आयोजन को सफल बनाने में ललन कुमार,सुमन जायसवाल,हीरा मालाकर,विनोद साह,लालो पंडित मंटून चौधरी सहित संपूर्ण ग्रामीणों का सराहनीय योगदान रहता है. मां की भक्ति में लीन हैं श्रद्धालु : नावकोठी. राम नवमी का दिन ज्यों ज्यों करीब आता जा रहा है आस्था का सैलाब उमड़ता जा रहा है. दुर्गा पूजा के अवसर पर बहुत ही विधि-विधान से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना की जाती है. गुरुवार को नवरात्रि के छठे दिन मां कत्यायनी की पूजा भक्ति भाव से की गयी. छतौना के पंडित नवीन कुमार मिश्र ने कहा कि मां के छठे रूप कात्यायनी की उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है. उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं. जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की. कठिन तपस्या की. उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो. मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया. इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलायी. यह वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गयी. कहा जाता है कि मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी. यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गयी थी. इसीलिए यह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है. यह स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में मां के बांयी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. इनका वाहन भी सिंह है. इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है. उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं. जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं. इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है.
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