सम्मेलन. जीडी कॉलेज में दर्शन परिषद का 39वां वार्षिक सम्मेलन शुरू
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दर्शन जीवन का बड़ा मूल्य
सम्मेलन. जीडी कॉलेज में दर्शन परिषद का 39वां वार्षिक सम्मेलन शुरू बेगूसराय : बिहार में दर्शन की एक समृद्ध विरासत है. इस विरासत में विशालता एवं विविधता है. एक तरह से बिहार दर्शन का पर्याय है. इसी मिथिला की धरती पर जनक एवं मंडन मिश्र जैसे कर्मयोगी एवं दार्शनिक हुए हैं. यह बात सुप्रसिद्ध गांधीवादी […]
बेगूसराय : बिहार में दर्शन की एक समृद्ध विरासत है. इस विरासत में विशालता एवं विविधता है. एक तरह से बिहार दर्शन का पर्याय है. इसी मिथिला की धरती पर जनक एवं मंडन मिश्र जैसे कर्मयोगी एवं दार्शनिक हुए हैं. यह बात सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति प्रो डॉ रामजी सिंह ने कही. वे सोमवार को सर गणेशदत्त कॉलेज में आयोजित दर्शन परिषद बिहार के उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे. प्रो रामजी सिंह ने कहा कि आज हम विज्ञान की ऊंचाइयों पर है.
और पूरी दुनिया में हमारी पहुंच गयी है. लेकिन हम नैतिक रूप से विपन्न हो रहे हैं. और हमारा पड़ोसी हमसे दूर होता जा रहा है. मौजूदा वैश्वीकरण, वसुधैव कुटुम्बकम है. हमें वैश्वीकरण का विकल्प ढ़ूंढ़ना है. नया अर्थशास्त्र गढ़ना है. सामान्य अध्यक्ष प्रो प्रभु नारायण मंडल ने कहा कि सामासिकता भारतीय संस्कृति की एक अत्यंत महत्वपूर्ण विशेषता है. विश्व की अनके संस्कृतियां भारतीय संस्कृति में घुल मिलकर एक रूप हो गयी है.
यहां अनकेता के बीच एकता का स्पष्ट बोध होता है. कई झंझावातों के बीच भी हमारे मूल्य सतत बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को जीवित एवं गतिशील बनाये रखने के लिए बदलते परिवेश एवं नये संदर्भ में समझना होगा. वैश्वीकरण ने हमें एक मोड़ पर ला खड़ा किया है. हमें ऐसे रास्तों को खोजना होगा. जिसे हमारा अतीत पीछे से आलोकित कर रहा हो. आइसीपीआर नयी दिल्ली के सदस्य प्रो रमेशचंद्र सिन्हा ने कहा कि दर्शानिक चिंतन संस्कृति से अलग नहीं हो सकता है. वीर कुंवर विश्व विद्यालय आरा के पूर्व कुलपति प्रो रमाशंकर आर्य ने कहा कि आज नैतिक विषाक्त हो गयी है.
ऐसे में देश-दुनिया को बचाने के लिए एक स्वस्थ दर्शन की जरूरत है. सिंघानियां विश्व विद्यालय राजस्थान के पूर्व कुलपति डॉ सोहन राम तातेड़ ने कहा कि आज की सबसे बड़ी जरूरत है कि हम इनसान बने. कार्यक्रम में प्रो आइएन सिन्हा, प्रो डॉ तपन कुमार शांडिल्य, डॉ बीएन ओझा, डॉ श्यामल किशोर आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये. महामंत्री डॉ श्याम किशोर ने परिषद का परिचय दिया. प्रधानाचार्य सह आयोजन सचिव डॉ अवधेश कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. संचालन कमलेश कुमार ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ राघवेश मिश्र सह सचिव ने किया.
स्मारिका का किया गया विमोचन:उद्घाटन सत्र में स्मारिका के अलावा शोध पत्रिका दार्शनिक अनुगुंज एवं शोहनराज तातेड़ अभिनंदन ग्रंथ दर्शन एक पुनरवलोकन का विमोचन किया गया. स्मारिका के प्रथम संपादक डॉ अवधेश कुमार सिंह एवं संपादक डॉ राम अकबाल सिंह हैं. दार्शनिक अनुगुंज के प्रधान संपादक डॉ आइएन सिन्हा एवं कार्यकारी संपादक डॉ नागेंद्र मिश्र किशोर, डॉ शैलेश कुमार सिंह, डॉ विजय कुमार ने संयुक्त रूप से किया है.
आइएन सिन्हा को लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड:उद्घाटन सत्र में दर्शानिक अनुगुंज के प्रधान संपादक दर्शनशास्त्र विभाग पटना विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ आइएन सिन्हा को सोहन राज, लक्ष्मी देवी तातेड़ लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया. दर्शन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस अवार्ड के तहत दस हजार रुपये नकद एवं प्रशस्तिपत्र प्रदान किये जाते हैं. प्रो सिन्हा ने कहा कि वे जीडी कॉलेज के छात्र रहे हैं. इस धरती पर सम्मानित होना उनके लिए गर्व की बात है.
दर्शन परिषद में संपन्न हुए चार व्याख्यान :सोमवार को भोजनावकाश के बाद चार व्याख्यान संपन्न हुए. ये व्याख्यान हैं राधा रमण सिन्हा स्मृति व्याख्यान, प्रो आरसी सिन्हा, मुंद्रिका स्मृति व्याख्यान, प्रो महेश सिंह, प्रकाश दूबे स्मृति व्याख्यान, प्रो सोहनराज तातेड़ एवं सोहन राज-लक्ष्मी देवी तातेड़ व्याख्यान डॉ विजय कुमार. इसके अतिरिक्त सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक डॉ रामजी सिंह ने गांधी शहादत विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया.
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