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अधर में सिमरिया धाम को विकसित करने की योजना

बीहट : कुंभ स्थली सिमरिया धाम को विकसित करने की सरकार की योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पायी. कहां तो तय था नमामि गंगे परियोजना के तहत एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड कंपनी सिमरिया घाट को 12 करोड़ 54 लाख की लागत से विकसित करेगी. मगर योजना कहां अटक गयी,किसी को पता नहीं. बतातें चलें […]

बीहट : कुंभ स्थली सिमरिया धाम को विकसित करने की सरकार की योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पायी. कहां तो तय था नमामि गंगे परियोजना के तहत एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड कंपनी सिमरिया घाट को 12 करोड़ 54 लाख की लागत से विकसित करेगी. मगर योजना कहां अटक गयी,किसी को पता नहीं.

बतातें चलें कि इसके तहत स्नानघाट के साथ-साथ शव को जलाने के लिए अलग से घाट का निर्माण, एक हजार स्थायी शौचालय, महिलाओं को वस्त्र बदलने के लिए अलग से चेंजिंगरूम तथा स्थायीरूप से वॉच टावर का निर्माण तथा लगभग दस हजार पौधे लगाये जायेंगे. उसके अलावा पार्क का निर्माण किया जायेगा. वाराणसी और प्रयाग की तरह सिमरिया घाट कब सिमरिया धाम की तरह दिखेगा, इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.
पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा हवा-हवाई : सिमरिया के गंगा तट पर लगने वाले कल्पवास मेले को राजकीय दर्जा प्राप्त है. इसके बावजूद पर्यटन के लिहाज से इस स्थान का विकास नहीं हो सका. सिमरिया को आज भी तलाश है एक ऐसे उद्धारक की जो इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सके.
सिमरिया गंगा तट पर पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं, जरूरत है केंद्र व राज्य सरकार के दिलचस्पी लेने की. जबकि गंगा को जलमार्ग के रूप में विकसित कर सिमरिया को व्यापारिक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.धार्मिक आचार्यों के अनुसार तीर्थराज प्रयाग में जो पौराणिक महत्व संगम घाट का है, वाराणसी में दशाश्वमेघ घाट का है,वही स्थान मिथिला में गंगा नदी पर स्थित सिमरिया घाट का है.
पिछले कई वर्षों से सिमरिया गंगा तट पर विदेशी सैलानियों का जत्था भी आता रहा है,मगर कुव्यवस्था से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जबकि इसके विकास को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह,उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी,पूर्व समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी हरसंभव मदद करने की बात कही थी,मगर वादों का आदर नहीं किया जा सका.
मेले के अनुरूप कब सुविधा देगी सरकार
वर्षों से सिमरिया गंगा तट पर चले आ रहे कल्पवास मेले को वर्ष 2006 में बिहार सरकार के द्वारा राजकीय मेले का दर्जा मिला है.लेकिन आज तक राजकीय मेले के अनुरूप उक्त मेले में कोई भी व्यवस्था नहीं दिखती. प्रशासन पानी, बिजली और शौचालय से ऊपर नहीं उठ सकी है. कई वर्षों से सिमरिया घाट पर बन रहा ओपेन एयर थियेटर का निर्माण आज तक अधूरा पड़ा है,यात्रियों के ठहरने के लिए एक धर्मशाला तक नहीं है.
कुंभ सेवा समिति का सराहनीय प्रयास : अर्ध कुंभ के सफल आयोजन में अपनी महती भूमिका निभानेवाला कुंभ सेवा समिति के प्रयास से वर्ष 2011 से कल्पवास मेले के दौरान होनेवाले गंगा महाआरती कार्यक्रम में लोगों की भारी भीड़ जुटती है. सिमरिया घाट से सिमरिया धाम की यात्रा में इस बार भी कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. मगर कला व संस्कृति विभाग कभी इस आयोजन में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाती है.सिमरिया कल्पवास मेले में अपनी उपस्थिति तक दर्ज कराना जरूरी नहीं समझती.

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