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बिहार में फेमस है यह शिव मंदिर, कहते हैं समुद्र मंथन में विष पीने के बाद यहीं पड़ा था भोलेनाथ का पहला कदम…

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Mahashivratri 2025: बिहार के बांका जिले का यह शिवमंदिर काफी फेमस है. मान्यता है कि समुद्र मंथन में विष पीने के बाद महादेव का पहला कदम इसी जगह रखाया था.

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गौरव कश्यप, पंजवारा: बिहार के बांका जिले के मंदार पर्वत का इतिहास समुद्र मंथन से जोड़कर बताया जाता है. इसी जिले में धोरैया प्रखंड के पैर पंचायत अंतर्गत पैर पहाड़ी पर स्थित एक शिव मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. जहां महाशिवरात्रि के दिन भी शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन में विषपान करने के बाद भोलेनाथ का पहला कदम यहीं पड़ा था.

मुगलकालीन कलाओं से बना है मंदिर

धोरैया प्रखंड के पैर पंचायत अंतर्गत पैर पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर में भी श्रद्धालुओं की खासी भीड़ महाशिवरात्रि पर रहती है. आज महाशिवरात्रि के अवसर पर ग्रामीणों के द्वारा धूमधाम से शिव-पार्वती विवाह महोत्सव मनाया जायेगा. इस मंदिर की इतिहास की बात करें तो मुगलकालीन कलाओं से बना यह मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है. जहां प्रत्येक सोमवार को दूर-दराज के अलावा प्रखंड क्षेत्र के शिव भक्त पहुंचते हैं.

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प्रसिद्ध शिवपुरी शिव मंदिर के बारे में पुजारी बोले…

लता व वृक्षों से बीचों-बीच पहाड़ी हियेश्वर के नाम से प्रसिद्ध शिवपुरी शिव मंदिर अवस्थित है. इस मंदिर की महिमा अपरंपार है. मंदिर के पुजारी प्रेम कुंदन बिहारी ने बताया कि सावन माह के अलावा शिवरात्रि के मौके पर यहां दूर-दूर से लोग आकर अपनी मन्नतें मांगते हैं. मौके पर यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि मंदिर के पुजारी के रूप में यह हमारी सातवीं पीढ़ी है. पहले मंदिर के पुजारी लाली बाबा उर्फ चेतनानंद शास्त्री हुआ करते थे. उनके अथक प्रयास से पहाड़ के चारों ओर फैली हरियाली जिसमें सैकड़ों बेल, कंद, मुल, माधवी लता पलाश सहित कई रसदार फल वृक्ष हैं.

मंदिर की मान्यता पर बोले पूर्व पुजारी

मंदिर के पुजारी ने बताया कि सन 1980 से ही लाली बाबा इस अभियान से जुड़े हुए हैं. और यहां के ग्रामीण भी इनको पूरा सहयोग देते हैं, जो इस मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. पूर्व पुजारी लाली बाबा ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास 350 वर्ष से अधिक पुराना है, मंदिर के चौखट आदि पर पत्थर के निर्माण के प्रमाण अभी भी मौजूद हैं. पैर पहाड़ी के नाम पर किंबदंती का प्रसंग सुनाते हुए बताते हैं कि समुद्र मंथन काल में जब भगवान शंकर विषपान कर चले तो उनका पहला कदम इसी पहाड़ी पर पड़ा.

स्थानीय ग्रामीण बोले…

स्थानीय पारस कुमार सिंह कहते हैं कि समुद्र मंथन के बाद महादेव द्वारा विषपान किये जाने की कथाओं से जुड़े इस पैर पहाड़ी की महिमा बहुत निराली है. सावन माह एवं शिवरात्रि में बिहार झारखंड सहित दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं, यहां मूलभूत सुविधाओं को और अधिक विकसित किये जाने की आवश्यकता है. वहीं मंजू महतो कहते हैं शिवपुरी पैर पहाड़ी स्थित महादेव की कृपादृष्टि से क्षेत्र के लोग सुख समृद्धि पूर्वक जीवन यापन करते हैं एवं स्थानीय श्रद्धालु यहां बारह मास पूजा अर्चना करते हैं.

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