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एनएच निर्माण के पहले खोजना होगा स्थायी समाधान

अतिक्रमण की चपेट में जिला मुख्यालय जिला प्रशासन लाख कोशिश हो रही बेकार बांका : जिला प्रशासन लाख कोशिश कर ले, लेकिन अतिक्रमणकारी सड़कों को अतिक्रमण करने से बाज नहीं आ रहे हैं. सड़कों पर से अतिक्रमण हटाने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. लेकिन, फिर अतिक्रमणकारी धीरे-धीरे अपना साम्राज्य स्थापित कर लेते हैं. […]

अतिक्रमण की चपेट में जिला मुख्यालय

जिला प्रशासन लाख कोशिश हो रही बेकार
बांका : जिला प्रशासन लाख कोशिश कर ले, लेकिन अतिक्रमणकारी सड़कों को अतिक्रमण करने से बाज नहीं आ रहे हैं. सड़कों पर से अतिक्रमण हटाने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं. लेकिन, फिर अतिक्रमणकारी धीरे-धीरे अपना साम्राज्य स्थापित कर लेते हैं. आखिर अतिक्रमणकारियों को इतनी शह कौन दे रहा है. चूंकि गांधी चौक पर पहुंचने वाली तीन सड़कों में से दो सड़कें एनएच में जा चुकी हैं. ऐसे में जब एनएच का निर्माण कार्य आरंभ होगा,
तो सड़कें चौड़ी होंगी. इसकी वजह से गांधी चौक के समीप के फूट कर दुकानदार बेरोजगार हो जायेंगे. इनके सामने रोजगार की समस्या के साथ-साथ परिवार के भरण पोषण की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. ऐसे में जिला प्रशासन अगर जल्द कोई स्थायी समाधान नहीं निकालेगी, तो सैकड़ों लोग बेरोजगार हो जायेंगे.
अतिक्रमण हटाने में परेशान होती है पुलिस
अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए पुलिस कई बार अपनी कार्रवाई कर चुकी है. जिसके लिए काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती विभाग के द्वारा की जाती है. सभी सामानों को जब्त भी किये जाते हैं. कभी-कभी तो पुलिस को कड़ी कार्रवाई भी करनी पड़ती है. लेकिन फिर भी जिला प्रशासन वैसे वक्तों में क्यों नहीं कार्रवाई करती है जब अतिक्रमणकारी धीरे-धीरे अपनी पांव पसारने लगते हैं. अतिक्रमणकारी कितने चालाक है कि वह स्टेप वाई स्टेप पूरी सड़क को अतिक्रमण करते है. सबसे पहले तो वह एक दो डलिया लेकर फुटपॉथ पर अपनी दुकान लगाते हैं. फिर ओस की बूंदों से बचने के लिए छतरी का सहारा लेते है. उसके बाद वह अपनी सामग्री में इजाफा करते है. इतना होने के बाद वह बॉस बल्ले की मदद से अस्थायी दुकान का निर्माण कर लेते हैं. इससे धीरे-धीरे पूरा गांधी चौक व कटोरिया रोड अतिक्रमित हो जाता है.
समस्या का नहीं है स्थायी निदान
गांधी चौक से जोरिया पुल या गांधी चौक से नयाटोला मोड़ से लगाने वाले फुटकर विक्रेता के लिए कोई भी समुचित स्थान नहीं है. इस वजह से वह सड़कों को अतिक्रमित करते हैं. बार-बार पुलिस की दबिश की वजह से वह सड़कों को तो खाली कर देते है लेकिन उनके सामने रोजगार की समस्या उत्पन्न हो जाती है. वह बेरोजगार हो जाते है जिससे उनके सामने परिवार के परवरिश की समस्या उत्पन्न हो जाती है. मजबूरन उनको फिर से सड़कों को अतिक्रमित करना पड़ता है. कई बार जिला प्रशासन इन फुंटकर विक्रेताओं के लिए जेल के समीप के तलाब को मुहैया कराया है लेकिन फुटकर विक्रेता वहां पर अपना रोजगार नहीं लगाते है. उनका कहना है कि उक्त स्थान पर उनकी बिक्री नहीं होती है. वहीं जोरिया पुल के बाद बाजार के समीप एक जमीन हाट के लिए थी लेकिन वह कुछ स्थानीय लोगों के द्वारा अतिक्रमित है. ऐसे में जिला प्रशासन अगर उक्त जमीन को खाली करवा देता है तो अतिक्रमण की समस्या का समाधान हो सकता है. वैसे तो जिला प्रशासन को यथाशीघ्र गांधी चौक को अतिक्रमण मुक्त करवाना ही होगा क्योकि सड़क एनएच में जा चुकी है. जब ट्रकों व बड़े वाहनों का काफिला सड़क से होकर गुजरेगा तो रोजाना कोई न कोई हादसा होता रहेगा.
गांधी चौके के समीप ही मिले स्थायी समाधान
एनएच 333 ए जो सिमुलतल्ला से पंजवारा भाया गांधी चौक होकर गुजरती है. जब वह सही रूप से कार्य करने लगेगी या निर्माण होने लगेगा, तो सड़कें चौड़ी होंगी. ऐसे में गांधी चौक के आस-पास अपनी रोजगार चलाने वाले फुंटकर विक्रेता के सामने रोजगार की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. कई लोग बेरोजगार हो जायेंगे. वहीं जब उक्त स्थानों से सब्जी मंडी हट जायेगा, तो आम लोगों को भी काफी परेशानी होगी. नेहरू कॉलोनी, बाबूटोला, नयाटोला, जेल के पीछे का मुहल्ला, पुरानी अस्पताल के पीछे का मुहल्ला, मलिकटोला सहित आस-पास के लोगों को सब्जी खरीदने के लिए मैन बजार सब्जी मंडी जाना होगा. जिससे आम लोग परेशान हो जायेंगे. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए की वह समय रहते इसका समाधान निकाल लें.

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