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शिवरात्रि की तैयारी में जुटे शिव भक्त, 117 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग

बांका: जिलेभर के सभी शिवालयों में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां युद्धस्तर पर की जा रही. अधिकांश शिवालयों में रंग-रोगन का काम चल रहा है. सभी स्थानों पर बिजली व फूल- पत्तियों से सजावट को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है. पूजा समिति द्वारा शिवालयों को दुल्हन की तरह सजाने की तैयारी की जा […]

बांका: जिलेभर के सभी शिवालयों में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां युद्धस्तर पर की जा रही. अधिकांश शिवालयों में रंग-रोगन का काम चल रहा है. सभी स्थानों पर बिजली व फूल- पत्तियों से सजावट को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है. पूजा समिति द्वारा शिवालयों को दुल्हन की तरह सजाने की तैयारी की जा रही है. शिव भक्त काफी उत्साहित दिख रहे हैं. इस साल आगामी 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जायेगा. महाशिवरात्रि पर कहीं भजन संध्या, कहीं रुद्राभिषेक तो कहीं अखंड महामृत्युंजय हवन कार्यक्रम तो कहीं विशाल बरात निकाली जायेगी. कहा जाता है कि इस दिन जो भी भक्त शिव भगवान की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती हैं.

117 साल बाद शुक्र और शनि का दुर्लभ योग
गुरुधाम के पंडित गोपाल शरण महाराज ने बताया कि शिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है. शिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा. गुरु भी अपनी स्वराशि धनु राशि में स्थित है. इस योग में शिव पूजा करने पर शनि, गुरु, शुक्र के दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है. 21 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. पूजन के लिए और नए कार्यों की शुरुआत करने के लिए ये योग बहुत ही शुभ माना गया है. रात्रि प्रहर की पूजा शाम 06 से 12:52 बजे रात तक हिंदू देवी-देवताओं में भगवान शिव शंकर सबसे लोकप्रिय देवता हैं. माना जाता है कि शिव को यदि सच्चे मन से याद कर लिया जाये तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने का शिवरात्रि का दिन भक्तों के लिए विशेष होता है. इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी के शाम को 05 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगी. उधर 22 तारीख को पंचक प्रारंभ हो रहा है. इसलिए 21 फरवरी को ही महाशिवरात्रि मनायी जायेगी. रात्रि प्रहर की पूजा शाम को 06 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी. अगले दिन सुबह मंदिरों में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जायेगी. नेगा विष योग शिवरात्रि के दिन शनि के साथ चंद्रमा भी रहेगा. शनि-चंद्र की युति की वजह से विष योग बन रहा है. इसके पूर्व करीब 28 साल पहले शिवरात्रि पर विष योग बना था. इस योग में शनि और चंद्रमा के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए. शिवरात्रि पर ये योग बनने से इस दिन शिव पूजा का महत्व और अधिक बढ़ गया है. कुंडली में शनि और चंद्र के दोष दूर करने के लिए शिव पूजन करना चाहिए.

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