बांका : शासन का निर्देश है कि सभी विभागीय अधिकारी दस बजे अपने-अपने दफ्तर पहुंचकर विभागीय कार्य को अंजाम देने की शुरुआत कर दें. लेकिन, यहां आधा दर्जन से अधिक विभागीय अधिकारी दफ्तर का कई महीनों तक मुंह देखना भी नहीं पसंद करते हैं और घर में ही कार्यालय लगा लेते हैं. जी हां, इस कड़ी में बात हो रही है लघु सिंचाई विभाग की.
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कार्यालय खाली, आवास पर ही हो रहा लघु सिंचाई विभाग का कार्य
बांका : शासन का निर्देश है कि सभी विभागीय अधिकारी दस बजे अपने-अपने दफ्तर पहुंचकर विभागीय कार्य को अंजाम देने की शुरुआत कर दें. लेकिन, यहां आधा दर्जन से अधिक विभागीय अधिकारी दफ्तर का कई महीनों तक मुंह देखना भी नहीं पसंद करते हैं और घर में ही कार्यालय लगा लेते हैं. जी हां, इस […]
यह कार्यालय जगतपुर स्थित संत जोसेफ विद्यालय के ठीक ओढ़नी नदी के बगल में स्थित है. जल-जीवन हरियाली योजना के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस विभाग को बड़ी जिम्मेदारी दी है. बांका लघु सिंचाई विभाग के पास 50 से अधिक प्रोजेक्ट जल-जीवन हरियाली से जुड़ा है. परंतु यहां के कार्यपालक अभियंता से लेकर अधिकांश अभियंता व कर्मी कार्यालय से गायब ही रहते हैं.
नतीजतन, सिंचाई से संबंधित कार्य लेकर जाने वाले किसान, जनप्रतिनिधि व अन्य लोगों को कार्यालय में मातमी सन्नाटा दिखता है. जिसकी वजह से उनका जरुरी कार्य नहीं हो पाता है. यही नहीं सिंचाई संबंधित कई समस्या हैं, जो लोग अभियंता तक नहीं पहुंचा पाते हैं.
कहा जाता है कि विभाग के मैनुअल के हिसाब से लघु सिंचाई विभाग नहीं चल रहा है. कार्यालय का दरवाजा तो दस बजे के पहले ही खुल जाता है. परंतु अधिकारी की कुर्सी खाली पड़ी रहती है. क्लर्क से लेकर अन्य कर्मचारी भी बाहर ही भ्रमण करते रहते हैं.
बांका : शासन का निर्देश है कि सभी विभागीय अधिकारी दस बजे अपने-अपने दफ्तर पहुंचकर विभागीय कार्य को अंजाम देने की शुरुआत कर दें. लेकिन, यहां आधा दर्जन से अधिक विभागीय अधिकारी दफ्तर का कई महीनों तक मुंह देखना भी नहीं पसंद करते हैं और घर में ही कार्यालय लगा लेते हैं. जी हां, इस कड़ी में बात हो रही है लघु सिंचाई विभाग की.
यह कार्यालय जगतपुर स्थित संत जोसेफ विद्यालय के ठीक ओढ़नी नदी के बगल में स्थित है. जल-जीवन हरियाली योजना के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस विभाग को बड़ी जिम्मेदारी दी है. बांका लघु सिंचाई विभाग के पास 50 से अधिक प्रोजेक्ट जल-जीवन हरियाली से जुड़ा है. परंतु यहां के कार्यपालक अभियंता से लेकर अधिकांश अभियंता व कर्मी कार्यालय से गायब ही रहते हैं. नतीजतन, सिंचाई से संबंधित कार्य लेकर जाने वाले किसान, जनप्रतिनिधि व अन्य लोगों को कार्यालय में मातमी सन्नाटा दिखता है.
जिसकी वजह से उनका जरुरी कार्य नहीं हो पाता है. यही नहीं सिंचाई संबंधित कई समस्या हैं, जो लोग अभियंता तक नहीं पहुंचा पाते हैं. कहा जाता है कि विभाग के मैनुअल के हिसाब से लघु सिंचाई विभाग नहीं चल रहा है. कार्यालय का दरवाजा तो दस बजे के पहले ही खुल जाता है. परंतु अधिकारी की कुर्सी खाली पड़ी रहती है. क्लर्क से लेकर अन्य कर्मचारी भी बाहर ही भ्रमण करते रहते हैं.
अभियंता आवास पर ही खोल लिये हैं दफ्तर
सूत्र की मानें तो लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता अरुण कुमार यहां आवास लेकर रहते हैं. आवास पर ही प्रतिदिन वो दफ्तर लगाते हैं. आवंटित कार्यालय में यदा-कदा केवल खानापूर्ति के लिए ही जाते हैं. ज्ञात हो कि लघु सिंचाई विभाग के अधीन सिंचाई से संबंधित कई प्रमुख योजनाएं व दायित्व हैं. परंतु वे कार्यालय में न होकर अपने आवास पर ही रहते हैं. इस बाबत कई जनप्रतिनिधियों ने भी कड़ी आपत्ति जतायी है.
पान की गुमटी पर होती है संवेदकों से डील
लघु सिंचाई विभाग के निचले स्तर के कर्मचारी अक्सर पान की गुमटी पर ही मिल जायेंगे. कुछ लोगों का कहना है कि यहीं पर संवेदक आकर मिलते हैं और जरुरी डील करते हैं. विभाग से कोई संपर्क रखना मुनासिब नहीं समझते हैं. अधिकारी व कर्मचारियों को लगता होगा कि इतनी सारी बातें लोगों को कैसे पता है, परंतु यह पब्लिक है सब जानती है.
विभागीय कार्यालय में नेटवर्क की समस्या है. जिसकी वजह से कई कार्य संपादित नहीं हो पाते हैं. परंतु यह आरोप गलत है कि कार्यालय में अनुपस्थित ही रहते हैं. वे 30 दिन मुख्यालय में रहते हैं और कार्यालय में उपस्थित रहते हैं.
अरुण कुमार, कार्यपालक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग, बांका
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