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आज से तीन दिवसीय जीवितपुत्रिका व्रत की होगी शुरुआत, नकलों की हो रही प्रस्तुति

नप कार्यालय सहित अन्य स्थानों पर प्रतियोगिता

नप कार्यालय सहित अन्य स्थानों पर प्रतियोगिता

दाउदनगर. नहाय-खाय के साथ तीन दिवसीय जीवितपुत्रिका व्रत की शुरुआत शनिवार से हो जायेगी. जीवितपुत्रिका व्रत आश्विन महीना के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. सप्तमी को नहाय-खाय के साथ महिलाएं व्रत की शुरुआत करती हैं. शनिवार को महिलाएं नहाय-खाय की परंपरा निभायेंगी. जिउतिया व्रत संतान की लंबी आयु के लिए माताएं करती हैं. रविवार को व्रत है और सोमवार को पारण कर जिउतिया व्रत की समाप्ति व्रती महिलाएं करेंगी. इसे लेकर दाउदनगर बाजार में भीड़-भाड़ और चहल-पहल बढ़ी रही. महिलाओं ने बाजार में पहुंचकर व्रत से संबंधित सामानों की खरीदारी की. जेवर दुकानों के साथ-साथ जिउतिया व पूजन सामग्रियों की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ देखी गयी. फुटपाथी दुकानें भी लगी रही. रविवार यानी अष्टमी को उपवास रखकर माताएं पूजा-अर्चना करेंगी. भगवान जीमुतवाहन के चारों चौकों में से किसी एक चौक पर जाकर सोना-चांदी या सूत से बना जिउतिया रखकर भगवान जीमुत वाहन की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करेंगी और भगवान जीमुतवाहन की कथा सुनेंगी. दाउदनगर में व्रती महिलाएं पुराना शहर चौक, कसेरा टोली चौक, पटवा टोली चौक व बाजार चौक स्थित भगवान जीमुत वाहन मंदिर पर जाकर विधिवत पूजा- अर्चना करेंगी और अपने पुत्र के चिरंजीवी होने की कामना करेंगी.

विशिष्ट तरीके मनाया जाता है जिउतिया

जिउतिया पर्व भारत के विभिन्न प्रांतो में मनाया जाता है, लेकिन दाउदनगर शहर में जिउतिया मनाने का एक विशिष्ट ढंग है, जो काफी मशहूर है. यहां इस पर्व को नकल पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसे देखने के लिए झारखंड, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से लोग सपरिवार आते हैं. यह शहर अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान रखता है. जिउतिया पर्व के अवसर पर दाउदनगर शहर आठ-नौ दिनों तक हंसी- मजाक, व्यंग्य -विनोद, गीत-संगीत, नृत्य-नाच, रहस्य-रोमांच और साहसिक करतब करने-दिखने में लिप्त रहता है. यहां जिउतिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत को बड़े ही धूमधाम और रंगारंग रूप में मनाया जाता है. नकल बनने के लिए बच्चे, युवा, अधेड़, बूढ़े सभी उम्र के पुरुषों में होड़ लगी रहती है. नकल बनने वाले कलाकार साहसिक करतब (मुड़ीकटवा, डाकिनी, चाकुधारी, तलवारधारी, त्रिशूलधारी, लाल देव काला देव आदि करतब) दिखाते हैं. नकल के माध्यम से समसामयिक घटनाओं और सामाजिक कुरीतियों पर भी करार व्यंग्य-प्रहार किया जाता है. नकल बनकर सरकारी तंत्र की भी पोल खोली जाती है. विभिन्न प्रकार की झांकियां निकाली जाती है. स्थानीय लोक कलाकारों नकलों की प्रस्तुति कर अपनी लोक कला का प्रदर्शन करते हैं. खासकर तीन दिनों तक को तो नकलों की भरमार रहती है.

नकलों की हो रही प्रस्तुति

जिउतिया पर्व के दौरान नकलों की प्रस्तुतियां की जा रही है. कई बाल कलाकारों द्वारा भी नकलो की प्रस्तुतियों की जा रही हैं. अब तीन दिनों के दौरान नकलों की अधिक प्रस्तुतियां होंगी. भगवान जीमुतवाहन के चारों चौकों पुराना शहर, कसेरा टोली, पटवा टोली इमली तल और बाजार चौक स्थित भगवान जीमुतवाहन मंदिर में ओखली रखकर पूजा -अर्चना की जा रही है. रात्रि में परंपरानुसार झूमर की प्रस्तुति भी होती है.

प्रतियोगिताओं का हो रहा आयोजन

जिउतिया पर्व को बढ़ावा देने के लिए पिछले कई वर्षों से विभिन्न संस्थाओं द्वारा नकल अभिनय प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. तीन दिवसीय नकल अभिनय प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, जहां नकल कलाकारों द्वारा अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दी जाती है. पिछले कुछ वर्षों से नगर पर्षद द्वारा भी जिउतिया लोकोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. नगर पर्षद द्वारा इस वर्ष भी नप कार्यालय परिसर में जिउतिया महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. मुख्य पार्षद अंजलि कुमारी ने बताया कि शनिवार की शाम ओबरा विधायक ऋषि कुमार द्वारा जिउतिया महोत्सव का उद्घाटन किया जायेगा. पटवा टोली इमली तल चौक पर विद्यार्थी चेतना परिषद एवं पुराना शहर में एकता संघ द्वारा नकल अभिनय प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है. वहीं, दाउदनगर के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण जिउतिया पर्व को राजकीय दर्जा देने की मांग भी पिछले कई वर्षों से उठ रही है. जिउतिआ संख्या के अनुसार धारण करती हैं. लाल या पीला धागा में जिउतिआ गाथने की परम्परा है. जिउतिआ का आकार नाव की तरह रहने के संबंध में आचार्य पंडित शास्त्री ने बताया कि संसार सागर से पार होने के लिए नाव की आवश्यकता होती है. पुत्र के कंधा रूपी नाव पर चढ़ कर माता भव सागर को पार हो जाती है. इसीलिए पुत्र को नाव आकार में निर्मित जिउतिआ से ज्ञान लेना चाहिये कि हम माता -पिता के पार करने वाला नांव हैं.

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