औरंगाबाद/कुटुंबा. सनातन संस्कृति में जीवित्पुत्रिका व्रत का खास महत्त्व है. माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र व सुख समृद्धि की कामना को लेकर कठिन निर्जला व्रत जीवित्पुत्रिका का अनुष्ठान करती हैं. धर्मशास्त्रीय व लौकिक दृष्टि से व्रत रखने का विधान है. इस बार कल रविवार यानी 14 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत मानाया जा रहा है. ज्योतिर्विद डॉ हेरम्ब कुमार मिश्र ने बताया कि आज शनिवार को नहाय खाय के साथ व्रती महिलाएं व्रत की पवित्रता में संलग्न हो जायेंगी. नहाय-खाय के दिन महिलाएं स्नान कर पवित्रता से भोजन ग्रहण करती हैं. रात में सरगही करने की लोक परंपरा चली आ रही है. उन्होंने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन कृष्ण पक्ष प्रदोष व्यापिनी अष्टमी को एवं इसका पारण नवमी के दिन किया जाता है.
कल पूर्वाह्न 8:41 बजे से अष्टमी तिथि शुरू
ज्योतिर्विद डॉ मिश्र ने बताया कि कल पूर्वाह्न 8 बजकर 41 मिनट से सोमवार को प्रातः 6 बजकर 27 मिनट तक अष्टमी तिथि है. सोमवार को पूरे दिन नवमी तिथि रहेगी. ऐसे में प्रदोष व्यापिनी अष्टमी को प्रधानता देते हुए रविवार को ही व्रत किया जाना श्रेयस्कर होगा. सोमवार को सूर्योदय के उपरांत प्रातः 6 बजकर 27 मिनट के बाद पारण कर व्रत पूर्ण किया जायेगा. ज्ञात हो कि अष्टमी की पूजा सायंकाल में और उसका पारण नवमी के दिन होता है. प्रायः सभी पंचांगों में रविवार को यह व्रत करने का स्पष्ट निर्देश है. उन्होंने बताया कि धर्मशास्त्रों एवं शास्त्र निर्णयों के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए कृष्णपक्ष की अष्टमी पहले दिन की ली जानी चाहिए जबकि शुक्लपक्ष की अष्टमी दूसरे दिन की. निर्णय सिंधु में लिखा है- व्रतमात्रे अष्टमी कृष्णा पूर्वा शुक्ला पराष्टमी. ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी स्पष्ट निर्देश है कि- कृष्णपक्षे अष्टमी चैव कृष्णपक्षे चतुर्दशी, पूर्व विद्धा एव कर्तव्या परविद्धा न कुत्रचित. यानी कृष्णपक्ष में किया जाने वाला अष्टमी और चतुर्दशी व्रत पहले दिन की तिथि को ही किया जाना चाहिए.जीमूतवाहन की पूजा रात में करने का है विधान
ज्योतिर्विद ने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर कुछ महिलाओं के बीच व्रतकथा में वर्णित श्लोक को लेकर कतिपय संशय है. हालांकि, विद्वत समाज का मंतव्य है कि कोई भी व्रत शास्त्र-निर्णय और पंचांग पर आधारित होता है. जीमूतवाहन की पूजा रात में ही की जानी चाहिए. प्रदोष काल अष्टमी और नवमी में पारण को ध्यान में रखते हुए रविवार के दिन ही व्रत करने का निर्णय दिया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

