औरंगाबाद कार्यालय. औरंगाबाद जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने का प्रयास शुरू हो गया है. जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने मरीजों की परेशानी को समझा और फिर एक सार्थक प्रयास की. डीएम के सार्थक प्रयास का ही परिणाम है कि सदर अस्पताल औरंगाबाद, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रफीगंज और रेफरल अस्पताल हसपुरा को नए डॉक्टर मिलने जा रहे हैं. एक सप्ताह के भीतर पांच डॉक्टरों की पदस्थापना होगी. बड़ी बात यह है कि सदर अस्पताल को तीन डॉक्टर मिले हैं. जेनरल सर्जन के रूप में डॉक्टर विक्रम मेहता,आंख डॉक्टर के रूप में डॉक्टर सुभद्रा कुमारी और ऑर्थोपेडिक के रूप में डॉक्टर गौतम प्रसाद निराला जल्द सदर अस्पताल में अपनी सेवा प्रारंभ करेंगे. इनके अलावे रफीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर चांदनी सिंह और रेफरल अस्पताल हसपुरा में डॉक्टर राणु सिंह कुशवाहा अपनी सेवा देंगे. ज्ञात हो कि रफीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और रेफरल अस्पताल हसपुरा में महिला डॉक्टर के अभाव की वजह से महिला मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. कई दफे महिला डॉक्टरों की पदस्थापना करने की मांग की गयी थी. वैसे भी हर दिन उक्त अस्पतालो में सैकड़ो महिलाए इलाज करने पहुंचती है, लेकिन महिला डॉक्टर नहीं होने की वजह से पुरुष डॉक्टर के समक्ष मर्ज बताने में परहेज करती है. दोनों अस्पतालों की समस्या को जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने समझा और फिर महिला डॉक्टर की पदस्थापन के संबंध में पहल शुरू किया. सदर अस्पताल की भी स्थिति बेहतर नहीं थी. जेनरल सर्जन, ऑर्थोपेडिक सहित कुछ अन्य विभागों में डॉक्टरों की कमी थी. ऐसे में डीएम उक्त परेशानी से अवगत हुए. अब डीएम की पहल पर तीनों अस्पतालों में डॉक्टरों की व्यवस्था बना दी गयी है. डीएम श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि एक सप्ताह के भीतर पांच डॉक्टर पदस्थापित होंगे. सदर अस्पताल में तीन, रफीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक और रेफरल अस्पताल हसपुरा में एक यानी उन्हें पांच डॉक्टर मिले हैं. बहुत हद तक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का समाधान होगा. डीएम ने बताया कि सदर अस्पताल में तीन डॉक्टरों को आने से अब डॉक्टरों की संख्या 30 पहुंच गई है. एक तरह से लगभग समस्याओं का समाधान हो गया है. सदर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को अब परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. ज्ञात हो के डीएम श्रीकांत शास्त्री हर तीसरे – चौथे दिन सदर अस्पताल सहित जिले के किसी न किसी अस्पताल का निरीक्षण व जायजा लेते रहते हैं. मरीज से बातचीत के क्रम में जो परेशानी उनके समक्ष आती है उसे वह समाधान करने के प्रयास में लग जाते हैं. औरंगाबाद जिले को अगर पांच डॉक्टर मिले हैं तो डीएम की मुख्य भूमिका रही है.
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