दो दिवसीय पातालगंगा महोत्सव का आगाज, पातालगंगा को कॉरिडोर बनाने की उठी मांग प्रतिनिधि, देव. सूर्यनगरी देव की तपोभूमि पातालगंगा के प्रांगण में आयोजित दो दिवसीय पातालगंगा महोत्सव का शुभारंभ मंगलवार को हुआ. महोत्सव को लेकर उत्साह का माहौल भी दिखा. पूरे दिन भगवान की महिमा पर परिचर्चा हुई. विचार गोष्ठी के साथ-साथ स्थानीय कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई. इससे पूर्व महोत्सव का उद्घाटन संरक्षक सिद्धेश्वर विद्यार्थी, अध्यक्ष सूर्यदेव यादव, सचिव दीपक गुप्ता, कोषाध्यक्ष कंचनदेव सिंह, मुखिया मनोज सिंह, राजेंद्र यादव, डॉ राजेंद्र प्रसाद, रामइकबाल, उपेंद्र यादव, रामधारी सिंह, विजय दूबे आदि लोगों ने संयुक्त रूप से किया. इस दौरान डॉ योगेंद्र कुमार, धनंजय सिंह, राकेश राही, वीरेंद्र कुमार सिंह आदि मौजूद रहे. अतिथियों ने कहा कि पातालगंगा तपोभूमि है. इस दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटा है. ज्ञानीनंद बाबा ने पातालगंगा को अपने प्रभाव से तपोभूमि बनाया है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस भूमि की महत्ता अधिक बढ़ जाती है, लेकिन पातालगंगा का जो विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो सका है. पातालगंगा के विकास और इस तपोभूमि को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित करने के लिए हम सबों को तत्परता से कार्य करने की आवश्यकता है. इससे हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध जुड़े हुए हैं. तमाम अतिथियों ने एक साथ संकल्प लिया कि पातालगंगा के विकास में ईमानदारी से कार्य करेंगे. शोभायात्रा में भगवान का गूंजा जयकारा महोत्सव के उद्घाटन के पूर्व यानी मंगलवार की सुबह पातालगंगा से भव्य शोभायात्रा निकाली गयी. देवी-देवताओं की चैतन्य झांकी शोभायात्रा को चार चांद लगा रही थी. कई स्कूलों के बच्चे शोभायात्रा में शामिल हुए. तमाम बच्चों के साथ आम लोगों ने पातालगंगा की महत्ता को दूर-दूर तक फैलाने का संदेश दिया. इधर, कलाकारों ने देवी-देवताओं की चैतन्य झांकी प्रस्तुत कर शोभायात्रा को भव्य बना दिया. राधे-कृष्ण के वेश में कलाकारों ने अपनी जबर्दस्त उपस्थिति दर्ज करायी. संगोष्ठी में पाताल गंगा को कॉरिडोर बनाने की मांग सिद्ध पीठ के नाम से प्रसिद्ध पातालगंगा मठ देव नगरी का एक अभिन्न पौराणिक तपोभूमि है, जहां ग्रामीणों के प्यास को बुझाने के लिए ज्ञानीनंद बाबा अपने चिमटे से सूर्यनगरी में मां गंगा को अवतरित किये थे. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां पर अवस्थित त्रिकोण सरोवर में नहाने से निसंतान को पुत्र की प्राप्ति होती है. यहां का ब्रह्मकुंड मंदिरनुमा आकार का है. संगोष्ठी में शामिल लोगों ने केंद्र व बिहार सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पातालगंगा को कॉरिडोर बनाने की मांग उठायी. साथ ही महोत्सव का सरकारीकरण करने की भी मांग की. सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कहा कि पातालगंगा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. अगर, पातालगंगा को कॉरिडोर बनाया गया, तो देव का विकास होगा. बेरोजगारों को भी रोजगार मिलेगा. वर्तमान में यहां पर मेडिकल कॉलेज, स्टेडियम, पार्क और रिंग रोड निर्माण की घोषणा की गयी है, जो महोत्सव की ही देन है. क्या है महोत्सव का उद्देश्य देव सूर्य मंदिर से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पातालगंगा मठ की महिमा को देश दुनिया तक पहुंचाने के लिए समाजसेवियों की ओर से साल 2024 से पातालगंगा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. वैसे भी इस पातालगंगा परिसर में मुख्यमंत्री ने प्रगति यात्रा के दौरान मेडिकल कॉलेज निर्माण की घोषणा की थी. उस वक्त से पातालगंगा बेहद सुर्खियों में है. लगातार दूसरी बार महोत्सव का आयोजन हो रहा है. आयोजन समिति का स्पष्ट कहना है कि पातालगंगा की धार्मिक प्रतिष्ठा को वापस दिलाने के लिए वे संकल्पित भावना से कार्य कर रहे हैं.
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