औरंगाबाद. नगर पर्षद दाउदनगर क्षेत्र में कचरा को रिसायकिल कर जैविक खाद बनाने की योजना पर काम पांच वर्ष पहले शुरू किया गया था, लेकिन काम पिट बनाने तक भी नहीं पहुंच पाया है. पिट बनने के बाद घरों से निकलने वाले कचरों से जैविक विधि से खाद बनाने की योजना थी. इसके लिए अब तक पिट का काम ही अधूरा है. शहर से निकलने वाले कूड़े कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए वार्ड नंबर 16 स्थित पिराहीबाग बगीचा के पास 1.64 एकड़ जमीन पर पिट प्लांट बनवाने का कार्य नगर पर्षद द्वारा करीब पांच वर्ष पहले शुरू किया गया था. साढ़े सात लाख रुपये की लागत से पिट का निर्माण कराया जाना था. इसका उद्देश्य था कि नप क्षेत्र के घर और दुकानों से निकलने वाला कूड़े-कचरे से जैविक खाद बनाया जायेगा. बीच में आये आंधी के दौरान पिट का एस्बेस्टस उखड़ गया था. फिर इसके जीर्णोद्वार की योजना बनी. जिसके कारण कूड़े-कचरों से जैविक खाद बनाने की योजना अधर में लटकी हुई है.
बनाये गये 40 छोटे-छोटे पिट
सड़क निर्माण भी जरूरी
जिस स्थान पर प्लांट का निर्माण नप द्वारा कराया गया है, उस स्थान तक पहुंचने के लियए सड़क का निर्माण कराया जाना भी जरूरी है. दाउदनगर-बारुण रोड के मोबाइल टावर के पास से लेकर पिट प्लांट तक आवागमन करने के लिए पीसीसी सड़क बनाने की योजना है. अब देखना यह है कि नगर पर्षद कितने फुट चौड़ी सड़क का निर्माण करती है. सूत्रों से पता चला कि सड़क निर्माण के साथ-साथ प्लांट में शौचालय व कमरों का निर्माण भी कराया जाना है. कचरा रिसायकल मशीन भी लगाया जाना है. चुनाव बाद कार्य को बढ़ाया जायेगा आगे मुख्य पार्षद अंजलि कुमारी का कहना है कि कचरा पिट प्रबंधन में कई कार्य बाकी थे. जिसके कारण यह योजना शुरू नहीं हो सकी है. एप्रोच रोड, बाउंड्री वॉल, परिसर में रूम बनाने का टेंडर हो चुका है. लोकसभा चुनाव के कारण आदर्श आचार संहिता लग जाने के कारण काम रुका हुआ है. आचार संहिता समाप्त होने के बाद कार्य शुरू होगा. जल्द ही कचरा पिट प्रबंधन को शुरू करा दिया जायेगा. कैसे बनता है जैविक खाद पिट प्लांट में लाने के बाद बने हुए बॉक्स में गीला कचरा को डालने के पहले जमीन पर हरा नारियल बिछा दिया जाता है. उस पर थोड़ा गोबर डाला जाता है. उसके बाद तीन इंच पर गीला कचरा और सूखे पत्ते डाले जाते हैं. सूखा पत्ता कार्बन अधिक बनाता है, जिससे खाद पूरी तरह दानेदार तैयार होता है और इस प्रकार एक से डेढ़ महीने के अंदर जैविक खाद बनकर तैयार हो जाता हैं. जैविक खाद बनने की शुरुआत में सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि प्रत्येक दिन काफी मात्रा में गीला कचरा का निष्पादन हो सकेगा. पिट में प्रसंस्करण कर गीला कचरा से जैविक खाद बनाये जाने से नगर पर्षद के आय का स्रोत भी बढ़ सकता है. एक निर्धारित दर पर किसान आसानी से स्थानीय स्तर पर नगर पर्षद से जैविक खाद की खरीदारी कर सकते हैं. जब शहर में बड़े पैमाने पर कूड़ा-कचरा निकल रहे हैं तो उसका संग्रहण पर उसे जैविक खाद बनाकर उसका सदुपयोग किया जा सकता है.