ब्रजेश द्विवेदी, ओबर
कहते हैं खराब हालात में अपना साया भी साथ छोड़ देता है, लेकिन जो बुरे हालात से लड़कर कामयाब हो जाये वही बादशाह कहलाता है. खराब वक्त में ही इंसान के हौंसले और आत्मविश्वास की परीक्षा भी होती है. यह पंक्ति एक किसान पर सटिक बैठती है जो गरीबी के दलदल से निकलकर उद्यमी किसान बनने की ओर अग्रसर हुआ है. ओबरा प्रखंड के रतनपुर पंचायत के रामजीवन बिगहा गांव निवासी किसान ठाकुर दयाल प्रसाद अपने फलदाई खेती से चर्चा में आ गये है. लगभग छह एकड़ निजी भूमि में ताइवान प्रजाति के अमरूद की खेती कर किसानी का नजीर पेश कर रहा है. कभी घर में खाने के लाले थे, आज प्रतिवर्ष तीन लाख रुपये से अधिक की कमाई कर अपने परिवार की खुशहाल भरी गाड़ी खिंच रहा है. साथ ही खेती करने वाले अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गया है.छह लाख रुपये का लिया रिस्क, अब खेती जीवन यापन का जरिया
रामजीवन बिगहा गांव निवासी ठाकुर दयाल प्रसाद का परिवार गरीबी की दलदल में फंसा था. छोटे जोत की किसान होने की वजह से उपज खाने-पीने में ही निकल जा रहा था. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ शादी-विवाह की चिंता सता रही थी. ऐसे में उसके जीवन में तब नया मोड़ आया जब नवीनगर के एक रिश्तेदार से फलदार खेती के बारे में जानकारी ली. अमरूद की खेती का उसने मन बना लिया, लेकिन खेती में कम से कम छह लाख रुपये की जरूरत थी. बड़ा रिस्क सामने था, लेकिन बड़ा गेम करने के लिए उसने रिस्क उठाया और पैसे का जुगाड़ कर खेती में जुट गया. छह एकड़ जमीन पर छह लाख रुपये खर्च कर अमरूद के पौधे लगाये. दो साल बाद जब पौधों में फल लग गये और अपनी मेहनत से बाजार पा लिया तो उसके सपनों को पंख लग गये. उसके साथ परिवार के लोगों ने कड़ी मेहनत की. आज उसे प्रतिवर्ष तीन लाख रुपये की आमदनी अमरूद की खेती से हो रही है. सच कहा जाये, तो गरीबी की चक्रव्यू में फंसा ठाकुर दयाल प्रसाद उद्यमी किसान बन गया.प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बागवानी का लिया जायजा
अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर होने की जानकारी मिलते ही ओबरा के प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार रंजन अन्य कर्मियों के साथ ठाकुर दयाल प्रसाद के अमरूद की बागवानी में पहुंचे और उसे प्रोत्साहित किया. खेती व आमदनी के बारे में जानकारी ली. किसान ने बताया कि उसे उद्यान विभाग द्वारा किसी तरह की मदद उपलब्ध नहीं करायी गयी है, जबकि सरकार द्वारा कृषि के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये जा रहे है. उद्यान विभाग का रवैया उदासीन रहा. किसान ने बताया कि रबी व धान की फसल से कहीं बेहतर अमरूद की खेती है. इससे उसे काफी फायदा मिल रहा है. यह भी बताया कि कभी-कभी अपने बागवानी के अमरूद को सरकारी प्रदर्शनी में शामिल भी कराया. इसके बाद भी उसे प्रोत्साहन नहीं मिला.क्या कहा कृषि पदाधिकारी ने
प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार रंजन ने बताया कि कृषि विभाग के कर्मियों के साथ रामजीवन बिगहा गांव पहुंचकर किसान ठाकुर दयाल प्रसाद की बागवानी का जायजा लिया. ऐसे किसान को सरकारी सहायता मिलनी चाहिए, ताकि अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने. उक्त किसान को आश्वस्त किया गया है कि उसे हर संभव सरकारी सहायता दिलायी जायेगी. ठाकुर दयाल प्रसाद जैसे किसान ही खेती के लिए नजीर पेश कर सकते है. ज्ञात हो कि ठाकुर ओबरा प्रखंड का एकमात्र किसान है जो अमरूद की फसल को बड़े पैमाने पर लगाकर लाभ कमा रहा है. अन्य किसान को भी ऐसे किसान से सीख लेने की जरूरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है