अंबा. अंबे महोत्सव में कलश यात्रा के बाद मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार, बीडीओ मनोज कुमार, सीओ चंद्र प्रकाश, उप प्रमुख प्रतिनिधि सुरेंद्र कुमार सिंह, न्यास समिति सचिव सिद्धेश्वर विद्यार्थी, साहित्यकार डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा एवं अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया. कार्यक्रम का संचालन शिक्षक चंद्रशेखर प्रसाद साहू ने किया. प्रमुख ने कहा कि औरंगाबाद जिले में तकरीबन दो दर्जन महोत्सव का आयोजन किया जाता है, इससे कलाकारों को एक बेहतर मंच प्रदान होता है. उन्होंने कहा कि महोत्सव के दौरान स्थानीय कलाकारों को अधिक से अधिक मौका देने की जरूरत है, ताकि यहां के लोग राज्य एवं देश स्तर पर अपना नाम कमा सके. वक्ताओं ने कहा कि 21 वर्ष से अंबे महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. कला संस्कृति के युवा विभाग द्वारा जिले में दूसरे महोत्सव के लिए मोटी रकम उपलब्ध करायी जाती है परंतु अंबे महोत्सव को अपेक्षा किया जा रहा है. यहां महोत्सव का आयोजन कर केवल कोरम पूरा किया जा रहा है. सतबहिनी न्यास समिति के सचिव श्री विद्यार्थी ने महोत्सव के आयोजन के लिए आवंटित की गई कम राशि पर चिंता जतायी व जिला प्रशासन से आयोजन के लिए राशि बढ़ाये जाने की मांग की. कांग्रेस एससी एसटी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष अजय राम ने भी सभा को संबोधित किया. इस मौके पर रामविलास सिंह, विकास कुमार विश्वास आदि थे.
उद्घाटन सत्र के दौरान खाली कुर्सियां रहीं चर्चा में
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के दौरान दर्शकों की कमी खलती रही और मंच पर यह चर्चा का विषय बना रहा. यहां तक कि महोत्सव के उद्घाटन सत्र में न तो जिला प्रशासन का कोई अधिकारी शामिल हुआ और ना ही प्रखंड क्षेत्र से जुड़े एक भी जिला पार्षद मंच पर दिखें. प्रखंड के विभिन्न पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य व अन्य जनप्रतिनिधि भी नहीं दिखे. आयोजन समिति द्वारा खुद से उद्घाटन का कोरम पूरा किया गया. महोत्सव के झांकी में प्रखंड मुख्यालय से जुड़े प्राइवेट स्कूल को भाग नहीं लेना भी चर्चा का विषय बना रहा और इससे कार्यक्रम भी फीका नजर आया. दबी जुबान लोग इसकी चर्चा कर रहे थे. कुछ लोगों का कहना था कि पूर्व में आयोजन से जुड़े लोगों को स्थान नहीं दिया जा रहा है, जिससे महोत्सव की गरिमा गिरती जा रही है. हालांकि, बैठक में प्राइवेट स्कूल संचालक को बुलाया गया था, परंतु उचित सम्मान नहीं मिलने से निजी विद्यालय कार्यक्रम से दूरी बनाते दिखे. महोत्सव में जन समुदाय के जड़ाव की कमी भी झलक दिखाई दी. लोगों की माने तो महोत्सव से जुड़े लोगों महोत्सव की सफलता से ज्यादा अपनी गरिमा बढ़ाने में ध्यान दे रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है