औरंगाबाद/मदनपुर.
महाशिवरात्रि की उपासना के लिए जिलेभर के शिवालय सज कर तैयार हैं. बुधवार को अहले सुबह से ही शिव मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ेगी. सुबह से ही मंदिरों में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की बड़ी तादाद महादेव की पूजा अर्चना को पहुंचेगी. शहर के कचहरी मोड़ स्थित महाकाल मंदिर की भव्य सजावट की गयी है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु महादेव की आराधना करने के लिए पहुंचेंगे. इसके अलावा शहर के बुढ़वा महादेव मंदिर, पीएचडी कॉलोनी शिव मंदिर, श्रीकृष्णा नगर शिव मंदिर, बाईपास स्थित महेश्वर महादेव शिव मंदिर, विराटपुर अखाड़ा स्थित शिव मंदिर, पिपरडीह शिव मंदिरर, न्यू एरिया स्थित शिव मंदिर, सत्येंद्र नगर स्थित शिव मंदिर, ब्लॉक कॉलोनी शिव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में महादेव की पूजा होगी. सभी शिवालयों के समीप पुष्प व पूजन सामग्री की दुकान भी लग गयी है. लोग भगवान भोलेनाथ की भक्ति में मग्न है. ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश पाठक ने बताया कि महादेव की भक्ति और उनकी कृपा पाने का सबसे आसान और सुलभ रास्ता जलाभिषेक है. महामृत्युंजय का मंत्र भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है. महामृत्युंजय का जाप करने से समस्त पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही महामृत्युंजय का मंत्र अकाल मृत्यु से बचाता है. जल के साथ-साथ दूध, दही, घी, पंचामृत, गन्ने का रस से अभिषेक करने से भी धन-धान्य संपदा व प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है.महासंयोग : शिव संग शनि देव की बरसेगी कृपा
महाशिवरात्रि इस बार बेहद खास मानी जा रही हैं. शिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे. करीब 149 साल बाद इन तीनों ग्रहों की युति और महाशिवरात्रि का योग का संयोग बन रहा है. ग्रहों के दुर्लभ योग में शिव पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं, ऐसी मान्यता है. इस योग में की गई पूजा-पाठ से कुंडली से जुड़े ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश पाठक ने बताया कि महाशिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे, इसके साथ राहु भी रहेंगे. ये एक शुभ योग है. इसके अलावा सूर्य-शनि कुंभ राशि में रहेंगे. सूर्य शनि के पिता हैं और कुंभ शनि की राशि है. ऐसे में सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में रहेंगे. शुक्र मीन राशि में अपने शिष्य राहु के साथ रहेगा. कुंभ राशि में पिता-पुत्र और मीन राशि में गुरु-शिष्य के योग में शिव पूजा की जायेगी. 1873 में ऐसा योग बना था, उस दिन भी बुधवार को शिवरात्रि मनायी गयी थी. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि 26 फरवरी, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है. महाशिवरात्रि पर सूर्य, बुध और शनि एक साथ कुंभ राशि में स्थित रहेंगे. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं और सूर्य शनि की राशि कुंभ में रहेंगे. यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है, जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं.बुढ़वा महादेव मंदिर के प्रति गहरी है आस्था
शहर के अदरी नदी किनारे स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर काफी पुराना है. मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है. पूजा की तैयारी में जुटे सदस्य आलोक शर्मा ने बताया मंदिर काफी पुराना है. इस वर्ष महाशिवरात्रि को लेकर विशेष तैयारी की गई है. शिव विवाह व भंडारे का आयोजन होगा. इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है. मंदिर परिसर में शिव पार्वती की मूर्ति स्थापित की जायेगी. बुधवार को संध्या छह बजे से शिव विवाह का आयोजन किया जायेगा. विद्यालय के बच्चों द्वारा शिव पार्वती की झांकी का कार्यक्रम भी आयोजित होगा. 28 फरवरी को शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली जायेगी. तैयारी में गोविंद कुमार, बिट्टू कुमार, सन्नी कुमार समेत अन्य सदस्य जुटे हुए हैं.उमगा पहाड़ है भगवान शंकर की उपासना का केंद्र
उमगा पहाड़ पर एक कुंड है, जिसे अमर कुंड कहा जाता है. अमर कुंड के पश्चिम थोड़ी दूरी पर सहस्त्र शिवलिंग का मंदिर है. एक ही प्रतिमा में 1000 शिवलिंग का प्रतिक है. महाशिवरात्रि में एक बार रुद्राभिषेक करने से भक्तों को सहस्त्र शिवलिंग का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है. उसके ऊपर फुटलकी मठ के पीछे एक भगवान शिव का मंदिर है. उसमें एक एक शिवलिंग स्थापित है जिसमे 1100 शिवलिंग का प्रतिक है. इस शिवलिंग की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.उन्नत मुद्रा में स्थापित है शिव की प्रतिमा
उमगा पहाड़ पर माता उमगेश्वरी मंदिर से आगे कुछ दूरी पर महाकाल मंदिर का मंदिर है, जिसे बुढ़वा महादेव मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है जो उन्नत मुद्रा में है. इसमें भगवान शिव के जंघा पर माता पार्वती सपरिवार उन्नत मुद्रा में बैठी हुई है. जो भी भक्त अपनी प्रबल इच्छा के साथ यहां पूजन करता है या निर्विघ्न रूप से 21 दिनों तक जल चढ़ाता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. यह उमगेश्वरी पर्वत पंचदेवों का स्थान है. जहां पर गणेश, शंकर, सूर्य, देवी और भगवान विष्णु का स्थान है.गौरी शंकर मंदिर में उमड़ेगी भीड़
उमगा पहाड़ की सबसे ऊपरी चोटी पर माता पार्वती और भगवान शंकर का मंदिर है. जहां पर गुफा के अंदर उनकी प्रतिमा स्थापित है. मानव सृष्टि रचना के पूर्व भगवान शिव और माता पार्वती ने उसी गुफा में बैठकर मैथुनी सृष्टि की रचना की थी. महाशिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु वहां जाकर जल चढ़ाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. ऐसा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
यहां स्थापित हैं शिव के दो रूप
यह मंदिर ऐतिहासिक उमगा पहाड़ के दक्षिण में पहाड़ के नीचे स्थित है. इसे पटुक भैरव या बाल भैरव मंदिर कहा जाता है. भगवान शंकर का दो स्वरूप है. बाल भैरव जो शांत स्वरूप है तथा काल भैरव जो उग्र स्वरूप है. उनकी प्रतिमा पर लोग विवाह के उपरांत मऊर और जल चढ़ाते हैं. ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
पार्वती व शंकर को समर्पित है महाशिवरात्रि : बालमुकुंदानंद पाठक
बालमुकुंदानंद पाठक उर्फ ताराशंकर बाबा ने कहा कि महाशिवरात्रि माता पार्वती और भगवान शंकर का दिन है. इस दिन लोग बड़ी संख्या में लोग उमगा पहाड़ पर पूजा करते हैं. सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमगा पहाड़ पर जमा हो जाती है. कहा जाता है कि जल चढ़ाने मात्र से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं. इस दिन श्रद्धालु शिवालयों में जाकर उनका प्रिय चढ़ावा गुड़, भांग, धतूरा, दही, अदरख आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं.
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