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सड़कों पर कर रहे जानलेवा ड्राइविंग व दिखा रहे स्टंट भी

सड़कों पर कर रहे जानलेवा ड्राइविंग व दिखा रहे स्टंट भी खतरों के खिलाड़ी बनते टीन एजर्स, पैदल चलना हुआ मुश्किल(फोटो नंबर- नाम से भेजी गयी है) ग्राफिक्स लगा देंगे औरंगाबाद (सदर)सड़क दुर्घटना एक चिंता का विषय है. एक सर्वेक्षण के अनुसार बताया गया है कि जितने लोगों की मौत हर वर्ष बीमारी व झगड़े […]

सड़कों पर कर रहे जानलेवा ड्राइविंग व दिखा रहे स्टंट भी खतरों के खिलाड़ी बनते टीन एजर्स, पैदल चलना हुआ मुश्किल(फोटो नंबर- नाम से भेजी गयी है) ग्राफिक्स लगा देंगे औरंगाबाद (सदर)सड़क दुर्घटना एक चिंता का विषय है. एक सर्वेक्षण के अनुसार बताया गया है कि जितने लोगों की मौत हर वर्ष बीमारी व झगड़े में नहीं होती उससे कहीं ज्यादा मौत सड़क दुर्घटना में होती है. सड़क दुर्घटना जैसे वारदात के साथ एक नयी परेशानी भी जुड़ी हुई है जो दुर्घटना के आंकड़े को बढ़ाने में मदद कर रहा है. इन दिनों खतरों से खेलते टीन एजर्स यानी वैसे युवक जिनकी उम्र 13 से 17 वर्ष तक है, वे अपने आप को धूम थ्री के हीरो से कम नहीं समझते. ये सड़कों पर किसी की परवाह किये बगैर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी जबरदस्त स्टंट व तेज वाहन चला रहे हैं जो शहरवासियों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है. सड़क पर चलने वाले लोगों में न तो ये महिलाओं की सुरक्षा का ख्याल करते हैं और न ही वृद्धों का. एक से बढ़ कर एक बाइक जिनकी क्षमता चार पहिये वाहन को भी पीछे छोड़ देने की होती है, का इस्तेमाल ये व्यस्त सड़कों पर स्टंट दिखाने के लिए करते हैं. पलक झपकते इनकी गाड़ियां आंखों से ओझल हो जाती हैं. इनके तेज रफ्तार के कायल तो कोई नहीं पर इनसे घायल जरूर होते हैं. एक तो उम्र कम साथ ही बिना लाइसेंस की ड्राइविंग जिला प्रशासन कैसे बरदाश्त कर रही है. ये एक सवाल बनता है. दूसरा यह कि इनके मां-बाप भी बेफिक्र लगते हैं. जिन्हें अपने बच्चों की जरा भी परवाह नहीं. आये दिन बाइक दुर्घटनाएं शहर में हो रही है. जिसमें सबसे ज्यादा नवयुवक ही दुर्घटना में शामिल होते हैं.पैदल चलना भी मुश्किल : बच्चों के शॉक को मारा नहीं जा सकता. पर ऐसा भी न हो कि बच्चों को जिद को पूरा करने के लिए उनके हाथों में मौत का सामान ही थमा दिया जाये. जो बच्चों के लिए तो परेशानी खड़ी कर ही सकता है, साथ ही दूसरों को भी मुसिबत में डाल दें. शहर के सड़कों पर ऐसा ही कुछ नजारा देखने को हर दिन मिल रहा है. लोग कहते हैं ऊंचे रसूक वाले बच्चों का तांडव अब बरदाश्त नहीं होता. दो पहिया वाहन के जानलेवा ड्राइविंग से सड़क क्रॉस करना तो दूर, सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है. सड़क पर पैदल चलने वालों को हर वक्त ये डर सताता है कि कहीं कोई बाइक राइडर आकर धक्का न मार दें. ————–रजिस्ट्रेशन चेक करने की जरूरत शहर की सड़कें खतरनाक हो गयी है. आये दिन मुख्य बाजार की सड़कों पर दुर्घटना होती है, जिसमें सबसे ज्यादा दुर्घटना की संख्या बाइक सवार युवाओं से होती है. प्रशासन को सबसे पहले इनका रजिस्ट्रेशन चेक करने की जरूरत है. खान इमरोज, प्रदेश महासचिव, बसपा सड़क पर चलनेवाले हर लोगों का सम्मान करना चाहिए. जो लोग गाड़ी से हैं वे लोग पैदल चलनेवालों की फिक्र अवश्य करें. पर आज के युवकों में ये तहजीब बिल्कुल नहीं है. इनके ड्राइविंग से डर लगने लगा है.अशोक पांडेय, शिक्षकचाहे सड़क कोई भी हो उस पर सवधानी से चलना बेहद आवश्यक है. खास कर वैसे लोगों पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है जो बिना लाइसेंस के बाइक राइडिंग कर रहे हैं. इनमें ज्यादातर कम उम्र के लड़के हैं, जिनका मनोबल बढ़ रहा है. राजीव रंजन सिंह उर्फ जुगनू, अधिवक्ताइतनी तेजी से शहर बढ़ा है कि उसका प्रभाव सड़कों पर दिखता है. नवयुवकों के हाथ में मोटरसाइकिल फैशन बन गया है. बिना जरूरत के मां-बाप द्वारा इन्हें बाइक व स्कूटी उपहार में दे दिया गया है, जो दुर्घटना को बढ़ा रहे हैं. संतोष कुमार उर्फ गुड्डू, समाजसेवी

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