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मिशन 2019 : औरंगाबाद बनेगा सामाजिक समीकरण का गवाह, कांग्रेस निखिल को बना सकती है उम्मीदवार
इस बार भी कांग्रेस निखिल कुमार को उम्मीदवार बना सकती है, एनडीए में यह सीट भाजपा की झोली में रही पटना : औरंगाबाद लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के दिग्गज निखिल कुमार की प्रतिष्ठा दावं पर होगी. पिता पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिंह की इस परंपरागत सीट पर वो […]
इस बार भी कांग्रेस निखिल कुमार को उम्मीदवार बना सकती है, एनडीए में यह सीट भाजपा की झोली में रही
पटना : औरंगाबाद लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के दिग्गज निखिल कुमार की प्रतिष्ठा दावं पर होगी. पिता पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिंह की इस परंपरागत सीट पर वो और पत्नी श्यामा सिंह सांसद रह चुके हैं. वहीं, परिसीमन के बाद हुए दो चुनावों में मौजूदा सांसद सुशील कुमार सिंह यहां से सांसद हुए. उनके पिता रामनरेश सिंह उर्फ लूटन सिंह भी यहां से सांसद रहे हैं. सुशील कुमार पहली बार 2009 में जदयू से और दूसरी बार 2014 में भाजपा से जीत हासिल की.
औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र इस बार भी सामाजिक व जातीय समीकरण के संघर्ष का गवाह बनेगा
औरंगाबाद में 1950 से लेकर 2014 तक जितने भी लोकसभा के चुनाव हुए उन सभी चुनावों में राजपूत बिरादरी के उम्मीदवार ही जीतते आये हैं. सबसे अधिक सात बार पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा संसद पहुंचे.
महागठबंधन में इस सीट पर राजद की भी नजर है. राजद के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुबोध कुमार सिंह और कुशवाहा समाज पर पकड़ रखने वाले पूर्व विधायक सुरेश मेहता ने भी राजद की टिकट से अपनी दावेदारी जतायी है. जहां तक एनडीए गठबंधन की बात है, तो फिलहाल जदयू भी टिकट के रेस में है. जदयू की टिकट से रफीगंज विधायक अशोक सिंह भी संभावितों की सूची में हैं.
परिसीमन से बदला क्षेत्र का स्वरूप : औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र में औरंगाबाद, कुटुंबा, रफीगंज और गया जिले के टेकारी, गुरूआ और इमामगंज विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.
(इनपुट : सुजीत कुमार सिंह, औरंगाबाद)
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