करपी (अरवल) : एक तरफ राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी पर फोकस कर रही है, वहीं कभी देशी चिकित्सा के क्षेत्र में उपलब्धियां का डंका बजाने वाला केयाल गांव का दातव्य आयुर्वेदिक औषधालय वर्षों से बंद पड़ा है. जिला परिषद द्वारा संचालित होने वाला यह औषधालय सुदूरवर्ती क्षेत्र में अवस्थित इस गांव में स्थापित है. इस औषधालय से दर्जनों गांवों के लोग लाभान्वित होते थे, लेकिन संसाधनों के अभाव में बंद पड़ा है.
इस अस्पताल का कोई फुरसेहाल लेने वाला नहीं है. यह औषधालय आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व जिला परिषद द्वारा निजी मकान में खोला गया था. सरकार की ओर से एक वैद्य और एक कर्मी की नियुक्ति की गयी थी . इनके सारे खर्च का वहन जिला परिषद की ओर से किया जाता था . दातव्य का शाब्दिक अर्थ निशुल्क होता है और इसी तर्ज पर ही उक्त औषधालय काम करता था . औषधालय में पद स्थापित डॉ जगदीश शर्मा के नाड़ी और जख्म ज्ञान का कोई शानी नहीं था .
दूर दूर के रोगी उक्त औषधालय में चिकित्सा कराने आते थे . औषधालय में इलाज के साथ ही आयुर्वेदिक औषधि अवलेह ,भष्म चूर्ण, अरिष्ठ सहित कई प्रकार के औषधियों का निर्माण कराया जाता था . लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण अब यह बदहाल हो गया है . वैद्य जगदीश शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद यह औषधालय चिकित्सक विहीन हो गया है . अरवल जिला परिषद के गठन होने के वर्षो बाद भी उक्त औषधालय पर कोई ध्यान नहीं दिया गया .