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मां सिद्धिदात्री पूजा के साथ नवरात्रि का पर्व संपन्न

आरा : पूरे जिले में वासंतिक नवरात्र के अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा -अर्चना भक्तों ने परंपरागत ढंग से व काफी उत्साह के साथ की. मां की पूजा को लेकर वैदिक मंत्रों के उच्चारण से वातावरण गूंज रहा था. वहीं, शंख ध्वनि व घंटे की ध्वनि से माहौल काफी […]

आरा : पूरे जिले में वासंतिक नवरात्र के अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा -अर्चना भक्तों ने परंपरागत ढंग से व काफी उत्साह के साथ की. मां की पूजा को लेकर वैदिक मंत्रों के उच्चारण से वातावरण गूंज रहा था. वहीं, शंख ध्वनि व घंटे की ध्वनि से माहौल काफी अध्यात्ममय बना हुआ था. ब्रह्म मुहूर्त में ही सभी घरों में मां के भक्त पूजा को लेकर तैयारी करने में लग गये. घरों की साफ-सफाई के साथ पूजा स्थल की विधिवत साफ सफाई की गयी. वहीं, गंगाजल छिड़क कर पूरे घर को पवित्र किया गया. शहर से गांव तक वैदिक मंत्रों से वातावरण गूंजता रहा. विश्व व्यापी महामारी कोरोना वायरस को लेकर सरकार द्वारा लगाये गये लॉकडाउन के कारण लोगों ने अपने-अपने घरों में ही विधान के अनुसार माता की पूजा-अर्चना की.विधि विधान से की गयी मां की पूजा-अर्चनापूरी तैयारी के बाद भक्तों ने विधि-विधान से मां की पूजा-अर्चना की. पूजा स्थलों पर मां की भक्ति में रमे भक्तों से मनोहारी दृश्य उपस्थित हो रहा था. वातावरण के कण-कण से मां दुर्गा के जाप की गूंज सुनाई दे रही थी. मां दुर्गा को मीठा हलुआ, खीर, मालपुआ, केला, नारियल और मिष्ठान का भोग लगाया गया. वहीं, पूजा के दौरान पुष्प, अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, फल आदि समर्पित किया गया. मां की पूजा का उत्तम मुहूर्त गुरुवार प्रात:काल तीन बजकर 40 मिनट से महानवमी का समापन तीन अप्रैल शुक्रवार को सुबह दो बजकर 43 मिनट पर था.कौन हैं मां सिद्धिदात्रीकमल के फूल पर विराजमान और सिंह की सवारी करनेवाली मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं में गदा, चक्र, कमल का फूल और शंख धारण करती हैं.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मांड के आरंभ में सर्वशक्तिमान देवी आदि पराशक्ति भगवान शिव के शरीर के बाएं भाग पर सिद्धिदात्री स्वरूप में प्रकट हुई थीं. मां की पूजा से व्यक्ति को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं. मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करके समस्त शोक, रोग एवं भय से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. मार्कंडेय पुराण में बताया गया है कि देवों के देव महादेव जब तारक मंत्र देते हैं, तो मां सिद्धिदात्री मंत्र धारण करनेवाले व्यक्ति को मोक्ष प्रदान करती हैं.नहीं हुआ कन्या पूजन का कार्यक्रमकोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन के कारण नवरात्रि के अंतिम दिन महत्वपूर्ण कन्या पूजन कार्यक्रम नहीं किया गया. कोरोना वायरस से बचने के महत्वपूर्ण उपायों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने को लेकर लोगों ने कन्या पूजन नहीं कराने का निर्णय लिया. कन्या पूजन में कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने के बाद दान पुण्य किया जाता है. इससे लोगों को बहुत लाभ होता है, पर इस बार ऐसा संभव नहीं हो पाया. कन्याओं को मां दुर्गा का साक्षात स्वरूप माना जाता है.हवन के साथ नवरात्र का पूजन हुआ संपन्नमां सिद्धिदात्री की पूजा पाठ व दुर्गा सप्तशती की पाठ की समाप्ति के बाद घरों में ही विधि विधान से हवन का कार्यक्रम किया गया. हवन के बाद नौ दिवसीय नवरात्र का पर्व संपन्न हो गया. वहीं, हवन के बाद घर के सभी सदस्यों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.

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