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साइबर क्राइम के जरिये महिलाएं हो रही हैं छेड़छाड़ की शिकार, पढ़िये कैसे…?
अनुपम कुमारी/पटना महिलाओं पर हो रही हिंसा का ट्रेंड बदल रहा है. पहले जहां महिलाएं घरेलू हिंसा या दहेज उत्पीड़न की शिकार हो रही थीं, वहीं अब साइबर क्राइम की शिकार हो रही हैं. आंकड़ों के अनुसार पटना हेल्पलाइन में दो वर्षों में घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के 1,110 मामले दर्ज किये गये हैं. […]
अनुपम कुमारी/पटना
महिलाओं पर हो रही हिंसा का ट्रेंड बदल रहा है. पहले जहां महिलाएं घरेलू हिंसा या दहेज उत्पीड़न की शिकार हो रही थीं, वहीं अब साइबर क्राइम की शिकार हो रही हैं. आंकड़ों के अनुसार पटना हेल्पलाइन में दो वर्षों में घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के 1,110 मामले दर्ज किये गये हैं. वहीं, अश्लील वीडियो बनाने, वल्गर मैसेज भेजने और फोन पर छेड़खानी संबंधी कुल 6,395 शिकायतें दर्ज की गयी हैं.
प्रति वर्ष 3000 शिकायतें
लड़कियों को बार-बार अनचाहे नंबर से कॉल करने, अश्लील मैसेज, एमएमएस बना कर ब्लैक मेल करने संबंधी मामले ज्यादा दर्ज किये गये हैं. वर्ष 2015 जहां, लिखित अावेदन कर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और जमीन संबंधी कुल 554 मामले दर्ज किये गये. वहीं, फोन पर साइबर क्राइम से संबंधित कुल 3155 मामले दर्ज किये गये हैं.
साल 2016 की बात करें, तो लिखित आवेदन के तहत दर्ज शिकायतों की संख्या 566 रही. वहीं, फोन पर साइबर संबंधी शिकायतें 3240 रहीं. पिछले दो वर्षों के आंकड़ों के मुताबिक महिलाएं सबसे अधिक इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिये क्राइम की शिकार हो रही हैं. प्रतिमाह 200-250 शिकायतें महिलाएं फोन और एमएमएस के जरिये कर रही हैं. महिला हेल्पलाइन की मानें, तो महिलाएं साइबर क्राइम संबंधी हिंसा से पीड़ित हैं. ऐसे में पहले जहां, महिलाएं कार्यालय आकर आवेदन देने से डरती थीं. वे अब फोन करअपनी समस्याओं को रख रही हैं. इनमें सभी दर्ज शिकायतें, सभी साइबर क्राइम से संबंधित ही दर्ज होते हैं.
इंटरनेट का प्रयोग करते वक्त रहें सतर्क
महिला हेल्पलाइन की परियोजना प्रबंधक प्रमिला कुमारी बताती हैं कि महिलाएं फेसबुक पर जुड़ने के बाद कई बार ऐसे लोगों से संपर्क बना बैठती हैं, जो बाद में फोन मैसेज और व्हाट्सएप चैटिंग के जरिये ब्लैक मेल करते हैं. कई बार तो महिलाएं अपने परिचय तक को गुप्त रखने की सिफारिश करती हैं. ऐसे में महिलाओं इंटरनेट के प्रयोग में सतर्कता बरतने की जरूरत है.
ऐसे होता है निष्पादन
महिला हेल्पलाइन में फोन पर दर्ज मामलों की सूची बनायी जाती है. इसके बाद कार्यालय बुलाया जाता है. कुछ मामले में पीड़िता के कार्यालय नहीं आने पर फोन से ही संपर्क कर मामले को शॉर्ट आउट किया जाता है. महिलाओं द्वारा दी गयी शिकायत के आलाेक में दिये गये नंबरों और पते पर फोन कर उनसे संबंधित शिकायत की जानकारी दी जाती है. छोटे-मोटे मामलों को चेतावनी देकर सुलझाया जाता है. बड़े मामलों में पुलिस की मदद ली जाती है.
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