पटना सिटी के एक परिवार की सांसें उस समय अटक गईं, जब 3 साल की मासूम बच्ची ने खेल-खेल में पेंसिल बैटरी निगल ली. परिजनों ने पहले केला खिलाने जैसे कई घरेलू नुस्खे अपनाने की कोशिश की, पर कोई फायदा नहीं हुआ. बच्ची की हालत बिगड़ती देख परिजन उसे तुरंत सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल लेकर पहुंचे.

एंडोस्कोपी तकनीक से बची मासूम की जान
अस्पताल में आपातकालीन स्थिति में डॉक्टरों की टीम ने तुरंत उसका इलाज शुरू कर दिया. वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट और हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने बताया की डॉक्टरों की टीम ने दूरबीन (एंडोस्कोपी) तकनीक के माध्यम से बैटरी को सफलतापूर्वक बाहर निकाला. बच्ची को एक दिन ऑब्जर्वेशन में रखा गया और अब वह पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट चुकी है.
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बेहद मुश्किल रहा इलाज : डॉ. अमृता
इस पूरे मामले को लेकर डॉ. अमृता ने बताया कि “बच्ची महज तीन साल की थी, जिसके कारण यह प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण थी. अगर बैटरी पेट में रह जाती, तो उससे निकलने वाला जहरीला पदार्थ पूरे पेट में फैल सकता था, जो जानलेवा साबित होता.” उन्होंने बताया कि इतनी कम उम्र में एनेस्थीसिया देना भी एक जोखिमपूर्ण कदम था, लेकिन टीम ने सावधानी से सफल ऑपरेशन किया.
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