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पटना जीपीओ घोटाला : सीबीआइ जांच के डर से निलंबित कर्मचारी ने जमा किये 30 लाख रुपये

पटना : पटना जीपीओ घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपने की तैयारी के बीच शुक्रवार को घोटाले के मुख्य अारोपित निलंबित डाक सहायक मुन्ना कुमार ने 30 लाख से अधिक रुपये खाते में जमा करा दिये. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घोटाले का दायरा व आरोपितों की संख्या बढ़ता देख पटना जीपीओ के चीफ […]

पटना : पटना जीपीओ घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपने की तैयारी के बीच शुक्रवार को घोटाले के मुख्य अारोपित निलंबित डाक सहायक मुन्ना कुमार ने 30 लाख से अधिक रुपये खाते में जमा करा दिये. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घोटाले का दायरा व आरोपितों की संख्या बढ़ता देख पटना जीपीओ के चीफ पोस्टमास्टर ने अपनी जांच रिपोर्ट डाक विभाग के बिहार सर्किल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल को भेजी है, जिसमें सीबीआइ से जांच कराने की बात कही गयी है. मिली जानकारी के अनुसार निलंबित डाक सहायक मुन्ना कुमार ने सीबीआइ को जांच सौंपे जाने की सूचना मिलने के बाद शुक्रवार को 30 लाख से अधिक रुपये सरकारी खाते में जमा करा दिये.

हालांकि, पटना जीपीओ के चीफ पोस्टमास्टर राजदेव प्रसाद ने इस संबंध में अनभिज्ञता जाहिर की. उन्होंने बताया कि आरोपित किसी भी पोस्ट ऑफिस से पैसा जमा कर सकता है. वहीं, दूसरी ओर वरीय अधिकारियों ने बताया कि पैसा जमा करने की जानकारी मिली है, लेकिन कितना जमा किया गया है, इसकी जानकारी नहीं है.
आज भी नहीं दिया योगदान : तबादले के बाद शुक्रवार को भी कर्मचारियों ने योगदान नहीं दिया. सभी कर्मचारी डिप्टी चीफ पोस्टमास्टर (प्रशासन) से अन्य विभाग में तबादला करने को लेकर आग्रह करने पहुंचे. इनमें महिला कर्मचारी भी शामिल थीं. मालूम हो कि तीन महिला कर्मचारियों का तबादला एसबी हॉल में किया गया है. योगदान नहीं देने के कारण आज भी तीनों काउंटरों पर कामकाज नहीं हुआ.
निलंबित कर्मचारी एसबी हॉल में घूमते नजर आया
गुरुवार को निलंबित सहायक डाकपाल आदित्य कुमार एसबी हॉल में एक टेबल से दूसरे टेबल घूमते नजर आया. उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखा. डिप्टी चीफ पोस्ट मास्टर (प्रशासन) को भनक तक नहीं लगी. कर्मचारियों ने बताया कि सुरक्षा को लेकर जीपीओ प्रशासन पूरी तरह उदासीन है. कहने को केवल सीसीटीवी कैमरा लगा है.
सीबीआइ को जांच सौंपने पर मंथन
पटना जीपीओ घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपने से पहले शुक्रवार को घंटों मंथन हुआ. इसमें बिहार सर्किल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल एमइ हक, निदेशक (मुख्यालय) शंकर प्रसाद, पटना जीपीओ के चीफ पोस्टमास्टर राजदेव प्रसाद सहित कई वरीय अधिकारी शामिल थे. अधिकारियों की मानें, तो घोटाले की जांच में निदेशालय की कोई भूमिका नहीं होती है.
अगर कर्मचारियों पर एफआइआर होनी होती, तो घटना उजागर होने के दो-तीन दिन बाद ही एफआइआर हो जाती. लेकिन, मामला बड़ा होने के कारण सीबीआइ को जांच सौंपने की परंपरा रही है. इसके अलावा पटना जीपीओ में भी शाम सात बजे तक अलग बैठक चीफ पोस्टमास्टर के चैंबर में हुई.

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