जहानाबाद : जिले के काको प्रखंड मुख्यालय स्थित मंडल कारा में शनिवार की रात विचाराधीन बंदी अर्जुन यादव (34 वर्ष) की मौत को लेकर मृतक के परिजनों ने रविवार को जमकर हंगामा किया. परिजनों ने जेल में उक्त बंदी की हत्या करने का आरोप लगाया है. जबकि कारा प्रशासन ने बंदी द्वारा आत्महत्या करने की बात कही है. हत्या का आरोप लगाते हुए मृतक के परिजनों ने रविवार की सुबह सात से नौ बजे तक सड़क जाम कर जेल प्रशासन के विरोध में नारे लगाये. परिजन उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे थे. तकरीबन दो घंटे तक उत्तेजित लोग एनएच 83 पर शोरशराबा मचा रहे थे.
महिलाओं का रो-रो कर बुरा हाल था. सड़क जाम से एनएच के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गयी. जाम स्थल पर एसडीओ, एसडीपीओ, नगर थाना और काको थाने की पुलिस बड़ी संख्या में सशस्त्र बलों के साथ पहुंचे. लोग हटने को तैयार नहीं थे. जेल में सुनियोजित साजिश के तहत उक्त बंदी की हत्या किये जाने की रट लगा रहे थे.
सूचना पाकर आये स्थानीय विधायक मुंद्रिका सिंह यादव ने लोगों को समझाया. तत्पश्चात विधायक, एसडीओ डाॅ नवल किशोर चौधरी और एसडीपीओ प्रभात भूषण श्रीवास्तव की पहल के बाद सड़क जाम समाप्त हुआ. बंदी की मौत के विरोध में काको मंडल कारा के सैकड़ों बंदियों ने रविवार को अनशन किया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेल में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं रहने का आरोप लगा बंदी दिन भर आंदोलित रहे. शाम में जेल सुपरिटेंडेंट से हुई वार्ता के बाद अनशन समाप्त हुआ. जेल अधीक्षक रामचंद्र महतो ने बताया कि बातचीत के बाद बंदियों ने अनशन खत्म कर दिया.
शाम में उनके लिए खाना बना. मृत विचाराधीन बंदी अर्जुन यादव पिता करीमन यादव पटना जिला के दुल्हिन बाजार थाना अध्यक्ष कादिरगंज गांव का निवासी था, जिसकी मौत शनिवार की रात जेल में हो गयी थी. इस संबंध में काराधीक्षक ने बताया कि उक्त बंदी ने कुछ तबीयत खराब रहने की बात कही थी जिसे इलाज कराने के लिए जेल के अस्पताल के वार्ड नंबर एक में ले जाया गया था.
इसके बाद उसने शौचालय जाने की बात कही. सुरक्षा के बीच उसे टॉयलेट ले जाया गया जहां उसने अपनी लूंगी से गर्दन कसकर आत्महत्या कर ली. कुछ विलंब होने पर देखा गया कि उक्त बंदी शौचालय में गिरा था. उसे विशेष इलाज के लिए रात में ही सदर अस्पताल भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी. जबकि मृत बंदी के परिजनों का कहना है कि उसकी हत्या की गयी है. गर्दन पर कोई निशान नहीं है. एक आंख के पास चोट के कारण जख्म का निशान है. इस बाबत काराधीक्षक के अनुसार शौचालय में गिरने के बाद वहां रखी बाल्टी से उसे चोट लगी होगी.
विचाराधीन बंदी की मौत और सड़क जाम की सूचना पाते ही एसडीओ एवं एसडीपीओ जाम स्थल पर पहुंचे और सड़क पर शव रखकर हंगामा मचा रहे परिजनों एवं उनके साथ आये लोगों को समझाया. एसडीओ ने बताया कि परिजनों के आरोप के आलोक में बंदी की मौत के मामले की न्यायिक जांच शुरू हो गयी है. एसडीओ ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश को घटना की पूरी जानकारी दी. जिला जज के आदेश पर अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी (एसडीजेएम) पोस्टमार्टम कक्ष के पास पहुंचे उनकी मौजूदगी में शव का पोस्टमार्टम कराया गया और परिजनों को सौंपा गया.
आठ दिनों में जेल से निकल जाता हमर रजवा:सदर अस्पताल के मेन गेट के ठीक सामने एनएच 83 पर रखे अर्जुन यादव के शव के पास और पोस्टमार्टम रूम के बाहर मृतक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था.
उनकी पत्नी सोमारी देवी, पुत्र गौतम और सुधीर, पुत्री पिंकी और भतीजा राहुल बेहाल थे. परिवार और गांव की कई महिलाओं की चीत्कार से माहौल पूरी तरह गमगीन था. रोते-चिल्लाते उनकी पत्नी सोमारी देवी कह रही थी कि वह अपने पति के जेल से निकलने की वाट जोह रही थी.
एक-एक दिन जोड़ रही थी. 13 अगस्त (रविवार ) को जेल में बंद हुए चार महीने पूरे होते और सात-आठ दिनों में पटना हाइकोर्ट से जमानत मिल जाती. सोमारी यह भी कहा रही थी कि चूंकि जिस हत्या के आरोप में उनके पति जेल में थे उस मामले के दूसरे आरोपितों को जमानत मिल गयी थी और अब आठ दिन में हमर रजवा को भी जरूर जमानत मिल जाती .
और ऊ जेल से निकल जाते. उक्त महिला यह भी कह रही थी कि उनके पति ने पूर्व में हुए बातचीत के दौरान अपी हत्या की आशंका व्यक्त की थी. मोबाइल फोन पर भी कहा था कि हमरा जेलवे में मरवा देतऊ.
