पटना: सूबे में छह चरणों में होनेवाले लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने की राह में सबसे बड़ी चुनौती नक्सली हिंसा पर लगाम लगाना है. राज्य के सभी जिलों में किसी-न-किसी रूप में नक्सलियों की घुसपैठ है. 31 जिलों में नक्सलियों के दखल की पुष्टि खुफिया एजेंसियां भी करती हैं. 20 जिलों में नक्सलियों की मजबूत पकड़ मानी जाती है. हालांकि, पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में नक्सलियों के मतदान बहिष्कार की अपील का कोई खास असर नहीं दिखा. नक्सल प्रभावित इलाकों में लोगों ने खुल कर मतदान में हिस्सा लिया.
बहिष्कार-हिंसा की धमकी
इस बार भी नक्सली चुनाव बहिष्कार की अपील कर रहे हैं. वे अपने इलाकों में लोकसभा चुनाव में खलल डालने की तैयारी भी कर रहे हैं. संचार व्यवस्था भंग करने के लिए वे मोबाइल टावरों को उड़ाने की घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं. चुनाव के दौरान तैनात सुरक्षाकर्मी सरकारी स्कूलों में ठहरते हैं. ऐसे में नक्सली दूरदराज के इलाकों में स्कूल के भवनों को भी नष्ट करने की कोशिश में रहते हैं. पुलिस इन इलाकों के स्कूलों और मोबाइल टावरों की सुरक्षा पर खास ध्यान दे रही है. नक्सलियों ने अपने प्रभाववाले इलाकों में मतदान के बहिष्कार की अपील भी शुरू कर दी है. वे पोस्टरों और परचे के सहारे चुनाव बहिष्कार की अपील कर रहे हैं. इस बार एसएएमएस भेज कर चुनाव बहिष्कार की अपील का नया तरीका भी नक्सली आजमा रहे हैं. भाकपा माओवादी की ओर से जारी बल्क एसएमएस में लोगों से लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डालने की अपील की गयी है. एसएमएस में नक्सली संगठन के लड़ाकों से चुनाव के दिन सुरक्षाबलों पर हमला करने को कहा गया है. मतदानकर्मियों से कहा गया है कि वे पुलिस की गाड़ी पर नहीं बैठें. इसी तरह नक्सल प्रभावित इलाकों में पोस्टर चिपका कर भी मतदान के बहिष्कार की अपील की जा रही है. हालांकि, पुलिस इन अपीलों और धमकियों के मद्देनजर सुरक्षा के खास इंतजाम भी कर रही है.
सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
बिहार में पहले चरण के मतदान के दौरान जिन छह सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मतदान होना है, उनमें गया, काराकाट, सासाराम, औरंगाबाद, नवादा व जमुई लोकसभा क्षेत्र शामिल हैं. इनमें भभुआ, चैनपुर, चेनारी व सासाराम (सासाराम लोकसभा क्षेत्र), डेहरी, काराकाट, गोह व नवीनगर (काराकाट लोकसभा क्षेत्र ), कुटुंबा, रफीगंज, गुरुआ, इमामगंज व टेकारी (औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र), शेरघाटी, बाराचट्टी व बोधगया (गया लोकसभा क्षेत्र ), रजाैली व गोविंदपुर (नवादा लोकसभा क्षेत्र), सिकंदरा, जमुई, झाझा व चकाई (जमुई लोकसभा क्षेत्र) क्षेत्रों में नक्सली खतरे को देखते हुए मतदान शाम 6 बजे के बदले 4 बजे ही खत्म हो जायेगा. समझा जाता है कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए छह चरणों में मतदान कराने का फैसला चुनाव आयोग ने सुरक्षा के मद्देनजर ही लिया है.
आयोग सभी इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों की पूरी तैनाती चाहता है. चुनाव के दौरान नक्सली चुनौती से निबटने के लिए बिहार पुलिस ने भी तैयारी की है. चुनाव के दौरान नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए उसने एक्शन प्लान भी तैयार किया है.
नक्सल प्रभावित लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव को लेकर अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ कोबरा बटालियन के कमांडो की तैनाती भी योजना है. ये नक्सली इलाकों में अभियान चलाने में माहिर होते हैं. सूत्रों का कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान के दौरान बीएसएफ के हेलीकॉप्टर भी तैनात किये जायेंगे.
इनसे है खतरा
राज्य में प्रतिबंधित नक्सली संगठन सीपीआइ (माओवादी) के अलावा और कई नक्सली संगठनों के हथियारबंद दस्ते सक्रिय हैं. ये सभी चुनाव बहिष्कार की घोषणा करते रहे हैं. इसमें माओवादी पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए), तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी), सीपीआइ (एमएल-जनशिक्त) जैसे नक्सली संगठन भी हैं. हालांकि, टीपीसी का दबदबा झारखंड के इलाकों में ही माना जाता है. चुनाव के दौरान नक्सली संगठन ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. राज्य के कई नेता भी नक्सलियों की हिट लिस्ट में शामिल हैं. केंद्रीय गृह मंत्रलय ने इसी महीने नक्सल प्रभावित राज्यों को आगाह किया है कि लोकसभा चुनावों में बाधा डालने के लिए नक्सली हमले कर सकते हैं. चिट्ठी में खुफिया जानकारियों के हवाले से बताया गया है आम चुनावों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से नक्सली हमले और तेज हो सकते हैं.