नयी दिल्ली : दुनिया भर में अपनी ‘ड्रिबलिंग’ का लोहा मनवाने वाले दिग्गज खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद को श्रद्धांजलि देते हुए पूर्व हाकी धुरंधरों ने आज कहा कि मैदान के भीतर वह जितने महान थे, मैदान के बाहर एक इंसान के तौर पर भी उनकी मिसाल नहीं मिल सकती. 56 बरस के मोहम्मद शाहिद का लंबे समय से बीमारियों से जूझते हुए आज गुडगांव के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया.
तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर ने उन्हें भारत के महानतम खिलाडियों में से एक बताया जबकि मास्को ओलंपिक ( 1980 ) में उनके साथ खेल चुके और उनके करीबी मित्रों में शामिल एम के कौशिक ने कहा कि अंतिम समय तक उन्होंने जिंदादिली नहीं छोड़ी. वहीं विश्व कप 1975 में भारत की खिताबी जीत के नायक और मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने उन्हें अपने दौर में दुनिया के तीन सर्वश्रेष्ठ ड्रिबलरों में शुमार किया.
उनकी जिंदादिली अंत तक उनके साथ रही और कभी उनको देखकर लगता ही नहीं था कि वह इतने बीमार हैं. हम अस्पताल में उनसे मिलने गए तो उन्होंने कहा था कि जल्दी ही ठीक हो जाउंगा लेकिन होनी को यह मंजूर नहीं था.’ अशोक कुमार ने कहा कि लखनऊ होस्टल के दिनों में ही शाहिद को देखकर उन्हें अनुमान हो गया था कि यह भारत के महानतम खिलाडियों में से एक होगा.
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं शाहिद को लखनऊ होस्टल के दिनों से जानता था जब हम इंडियन एयरलाइंस के सालाना शिविर के लिए केडी सिंह बाबू स्टेडियम जाते थे. मैं युवा लड़कों के साथ अभ्यास करना पसंद करता था जिनमें से शाहिद एक था. उसका खेल इतनी कम उम्र में भी सीनियर खिलाडियों की तरह था और मैं तभी समझ गया था कि एक दिन यह भारत के महानतम खिलाडियों में से एक होगा.’