नयी दिल्ली : पिछले छह महीने से दैनिक भत्तों के बिना खेल रही पाकिस्तानी हॉकी टीम ने बकाया राशि मिले बिना एशियाई खेलों में भाग लेने से इनकार कर दिया है लेकिन पाकिस्तान हॉकी महासंघ को भरोसा है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली नयी सरकार उनका यह संकट दूर करेगी.
पाकिस्तानी हॉकी खिलाड़ियों को पिछले छह महीने से दैनिक भत्ते नहीं मिले है और इस दौरान उन्होंने चैम्पियंस ट्रॉफी जैसा बड़ा टूर्नामेंट भी खेला. प्रत्येक खिलाड़ी का कुल करीब 80 लाख रुपये बकाया है. कप्तान मोहम्मद रिजवान सीनियर ने कहा , हमने तय किया है कि एशियाड से पहले अगर हमें बकाया रकम नहीं मिलती है तो हम नहीं खेलेंगे. टीम को 12 अगस्त को रवाना होना है और हम 10 अगस्त तक इंतजार करेंगे.
यह पूछने पर कि क्या खिलाड़ी कराची में चल रहे राष्ट्रीय शिविर का भी बहिष्कार करेंगे, उन्होंने कहा , नहीं. हम शिविर में भाग ले रहे हैं और तैयारियां भी अच्छी है. अगर हम खेलेंगे तो बहुत अच्छी चुनौती पेश करेंगे. इंडोनेशिया में 18 अगस्त से दो सितंबर तक होने वाले एशियाई खेलों में पाकिस्तान को बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया, ओमान और इंडोनेशिया के साथ पूल बी में रखा गया है.
वहीं पाकिस्तान हाकी महासंघ के महासचिव और पूर्व कप्तान शाहबाज अहमद ने कहा कि प्रायोजकों के सहारे टीम एशियाई खेलों में जायेगी. उन्होंने पिछली सरकार को पाकिस्तान हॉकी की दुर्दशा के लिये कसूरवार ठहराते हुए कहा कि इमरान खान की अगुवाई वाली नयी सरकार से उन्हें काफी उम्मीदें हैं.
उन्होंने कहा , हमने प्रायोजकों से बात की है और उम्मीद है कि एक सप्ताह में मसला सुलझ जायेगा. उन्होंने कहा , असल में पिछली सरकार की प्राथमिकता में खेल थे ही नहीं और इसी वजह से पाकिस्तानी हॉकी की माली हालत खराब हुई है. अब इमरान खान नये प्रधानमंत्री बनेंगे जो खुद खिलाड़ी रहे हैं. हम उनसे मुलाकात करके हालात से वाकिफ करायेंगे.अहमद ने कहा , पिछली सरकार ने हॉकी को मिलने वाला अनुदान रोक रखा था जो अभी तक नहीं मिला है और इसी की वजह से ये हालात हुए. नयी सरकार आने के बाद यह रकम मिल जायेगी. हम सरकार से अनुरोध करेंगे कि सालाना बजट में भी हॉकी के लिये एक राशि तय करे क्योंकि अभी जो पूरक अनुदान मिलता है , वह ऊंट के मुंह में जीरे जैसा है.
पाकिस्तान हॉकी टीम ने अभी तक चार विश्व कप और तीन ओलंपिक खिताब जीते है. आखिरी विश्व कप उसने 1994 में और आखिरी ओलंपिक स्वर्ण 1984 में जीता था. एशियाई खेलों में आठ बार स्वर्ण पदक जीतने वाली पाकिस्तानी टीम ने आखिरी बार 2010 में इन खेलों में पीला तमगा पाया था.