उम्मीद करते हैं कि आपने इस सीरीज का पहला पार्ट पढ़ा होगा जिसमें हमने 1992 वर्ल्ड कप के दौरान जावेद मियांदाद और किरण मोरे के बीच हुए वाकया को बताया है. अगर नहीं पढ़ा है तो यहां पढ़ लें.
IND vs PAK Rivalry Part 3: भारत-पाकिस्तान क्रिकेट का इतिहास हमेशा राजनीति, भावनाओं और विवादों से भरा रहा है. साल 1999 की सीरीज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था और क्रिकेट केवल खेल नहीं बल्कि राष्ट्रीय गौरव का सवाल बन चुका था. इस सीरीज से पहले ही बीसीसीआई दफ्तर और पिच पर हमले ने माहौल गरमा दिया था. मैदान से बाहर की हलचल मैदान के अंदर तक पहुंची और हर मैच एक अलग नाटक बन गया. खासकर ईडन गार्डन्स का विवादास्पद रनआउट इस सीरीज को हमेशा यादगार और विवादित बनाता है. भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट के युद्ध की तीसरी सीरीज में हम आपको ले चलेंगे उस सफर पर जब सचिन तेंदुलकर के रन आउट की वजह से दंगे जैसी स्थिति बन गई और खिलाड़ियों को मैदान से बाहर करना पड़ा. फिर मैच दोबारा शुरू हुआ, तो मैदान पर एक भी दर्शक नहीं थे.
विवाद की शुरुआत कैसे हुई
साल 1999 में 12 साल बाद पाकिस्तान की टीम ने भारत का दौरा किया. यह सीरीज कैसी होने वाली है, इसकी बानगी इसी बात से मिल गई थी कि सीरीज से पहले ही बीसीसीआई के हेडक्वार्टर में तोड़-फोड़ कर दी गई. इस हमले में न केवल बीसीसीआई का ऑफिस तहस-नहस हुआ, बल्कि भारत द्वारा जीती गईं कई ऐतिहासिक ट्रॉफियां भी नष्ट हो गईं. इस हमले का आरोप लगा बालासाहेब ठाकरे पर, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने का पुरजोर विरोध किया था. उन्होंने कहा था, “एक तरफ हमारा हत्याकांड हो रहा है, जम्मू-कश्मीर में सात लोग फिर मारे गए, और यह सब होने के बाद भी हम इनके साथ क्रिकेट खेलेंगे?” अमूमन आज भी स्थिति वही है, जब पहलगाम हमले के साए में एशिया कप का आयोजन हो रहा है.
कश्मीर से लेकर मुंबई तक भारत क्रोध में था. 1998 में भारत और पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों से तनाव सातवें आसमान पर पहुंच गया था. इससे पहले कि यह तनाव किसी युद्ध में बदलता, क्रिकेट को ‘शांति के पुल’ (Bridge of Peace) के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया गया. भारत पाकिस्तान के बीच तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेली जानी थी, जिसका पहला मैच दिल्ली में होना था. लेकिन बालासाहेब ठाकरे के कार्यकर्ताओं ने मैच को किसी भी हालत में रोकने के लिए, रातों-रात दिल्ली के फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में जबरन घुसे और पूरी पिच खोद डाली. इस घटना के बाद, शिवसेना ने ऐलान किया कि वह पाकिस्तानी खिलाड़ियों को भारत में खेलने से रोकने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. इसी बीच कुछ पाकिस्तानी मीडिया ने यह भी दावा किया कि उनके खिलाड़ियों को जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं. मामला इस हद तक बिगड़ गया था कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बीच में आकर इसे शांत कराना पड़ा. पर किसी को अंदाजा नहीं था कि जिस घटना का डर लोगों को स्टेडियम के बाहर सता रहा था, वह इस सीरीज के दौरान हुए एक रनआउट के कारण स्टेडियम के अंदर ही घट जाएगी और लगभग 65,000 प्रशंसकों को बीच मैच छोड़कर भागना पड़ जाएगा.
पहला टेस्ट: चेन्नई की हार और सचिन के आंसू
एक टेस्ट सीरीज और एशियन टेस्ट चैंपियनशिप का पहला मैच दिल्ली के फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में पिच खराब होने के बाद चेन्नई में शिफ्ट कर दिया गया. पहले टेस्ट का चौथा दिन. भारत और पाकिस्तान के बीच मैच एक ऐसे मोड़ पर खड़ा था कि स्टेडियम के अंदर लोग अपनी सीटों से उठ चुके थे और बाहर लोग रेडियो से कान लगाए बैठे थे. भारत को जीत के लिए सिर्फ 17 रन चाहिए थे और उसके पास चार विकेट अभी भी बचे थे. पाकिस्तानी गेंदबाजों की हालत खराब करने वाले सचिन तेंदुलकर 136 रन बनाकर क्रीज पर डटे थे. पाकिस्तान को सिर्फ एक विकेट की तलाश थी सचिन का विकेट. तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मैच को पलट दिया. सचिन आउट हो गए और इसके बाद भारत के विकेट गिरने की झड़ी लग गई. पाकिस्तान ने यह मैच 13 रनों से जीत लिया.
पाकिस्तान ने चेन्नई में फतह हासिल की और उनकी इस शानदार परफॉर्मेंस से प्रभावित होकर चेन्नई की भीड़ ने खड़े होकर उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दिया. जहाँ एक तरफ चेन्नई की भीड़ पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिए तालियां बजा रही थी, वहीं दूसरी ओर सचिन तेंदुलकर ड्रेसिंग रूम में बुरी तरह रो रहे थे. ऐसा बहुत कम होता है कि हारने वाली टीम के किसी खिलाड़ी को ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना जाए, पर सचिन इतने दुखी थे कि वह अपनी ट्रॉफी लेने भी नहीं आए. उस समय जब यह सिर्फ एक क्रिकेट मैच नहीं था, पाकिस्तान से हारना भारत के लिए एक गहरे घाव के बराबर था.
दूसरा टेस्ट: कुंबले का ऐतिहासिक प्रदर्शन
भारत पहला टेस्ट मैच हार चुका था और इससे पहले कि दूसरा टेस्ट मैच शुरू होता, शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने धमकी दे डाली कि वे मैच के दौरान मैदान में जहरीले सांप छोड़ देंगे. यह धमकी इतनी गंभीर थी कि बीसीसीआई को कुछ अलग सोचना पड़ा. इसलिए, बीसीसीआई ने 20 सपेरों को काम पर रखा जो मैच के दौरान सांपों को ढूंढकर उन्हें पकड़ सकें. इतने डरावने माहौल के बावजूद, बड़ी संख्या में लोग दिल्ली के क्रिकेट स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान का दूसरा टेस्ट मैच देखने आए. इस डर के माहौल में उनके पैसे वसूल हो गए, क्योंकि भारतीय गेंदबाज अनिल कुंबले ने वह कर दिखाया जो आज तक किसी भारतीय ने नहीं किया था. कुंबले ने पाकिस्तान की एक ही पारी में सभी 10 विकेट ले लिए. इस ऐतिहासिक प्रदर्शन से कुंबले ने पाकिस्तान की नींव हिला दी और भारत को मैच जिता दिया. सीरीज 1-1 से बराबर हो गई थी, लेकिन असली कहानी तो अभी शुरू होनी थी.
तीसरा टेस्ट: ईडन गार्डन्स का विवादास्पद रनआउट
इस कहानी का क्लाइमेक्स था भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा टेस्ट मैच, जो अब सिर्फ एक क्रिकेट मैच नहीं, बल्कि दोनों देशों के लिए इज्जत का सवाल बन गया था. इसे एशियन टेस्ट चैंपियनशिप के पहले मैच में तब्दील कर दिया गया, जिससे इसका महत्व दोगुना हो गया था. भावनाएं पहले से ही चरम पर थीं, और इसी बीच पाकिस्तानी गेंदबाज शोएब अख्तर ने ‘क्रिकेट के भगवान’ सचिन तेंदुलकर से कुछ ऐसा कहा जिससे भारतीय ड्रेसिंग रूम में सबका खून खौल उठा.
कोलकाता के ईडन गार्डन्स में रिकॉर्ड 1 लाख दर्शकों के बीच सचिन बैटिंग करने उतरे और चारों तरफ एक ही नाम गूंजने लगा. लेकिन पीठ के गंभीर दर्द की वजह से सचिन इस सीरीज में अच्छी फॉर्म में नहीं थे. ऊपर से, इस मैच की पहली पारी में शोएब अख्तर ने उन्हें शून्य पर आउट कर दिया था, जिससे पूरा स्टेडियम शांत हो गया था. मैच का चौथा दिन था और भारत को जीत के लिए 279 रन चाहिए थे. इस समय भारत 140 रन पर दो विकेट खोकर एक मजबूत स्थिति में था. तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे हालात और जज्बात, दोनों बिगड़ने वाले थे. सचिन रन लेने के लिए दौड़े और उन्हें विश्वास था कि वह क्रीज में पहुंच जाएंगे, भले ही फील्डर डायरेक्ट हिट ही क्यों न मार दे.
तेंदुलकर क्रीज में आ गए थे. जब बॉल विकेट पर लगने वाली थी, तो शोएब अख्तर बॉल को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे. इसी कोशिश में वह तेंदुलकर से टकराए और तेंदुलकर का बैट हवा में उठ गया और बॉल स्टंप पर लग गई. रिप्ले देखने पर भी लगता है कि शोएब एक फील्डर की तरह गेंद को पकड़ने के लिए तैयार थे और वह सचिन की तरफ देख भी नहीं रहे थे. उनकी नजर सिर्फ नदीम के थ्रो पर थी. लेकिन ऐसा लगा कि शोएब अख्तर जानबूझकर पीछे हटे ताकि वह सचिन से टकराकर उन्हें रोक सकें. नतीजा यह हुआ कि थर्ड अंपायर ने सचिन को रनआउट करार दिया और सब हैरान रह गए.
सचिन, जो हमेशा की तरह बिना कोई शिकायत किए पवेलियन की तरफ जा रहे थे, रिपोर्ट्स के मुताबिक ड्रेसिंग रूम में नहीं, बल्कि सीधे टीवी अंपायर के कमरे में गए. उन्होंने उस रनआउट का रिप्ले देखा और बिना कुछ बोले, दुख और अविश्वास के साथ कमरे से चले गए.
दंगा, खाली स्टेडियम और पाकिस्तान की जीत
यह रनआउट एक साजिश थी या नहीं, इसका फैसला आज भी बहस का विषय है, लेकिन जो अब होने वाला था, वह किसी ने सोचा भी नहीं था. एक तो भारत-पाकिस्तान मैच पहले से ही संवेदनशील था, ऊपर से स्टेडियम में मौजूद भीड़ को लगा कि एक पाकिस्तानी खिलाड़ी ने जानबूझकर उनके भगवान, सचिन तेंदुलकर के साथ बेईमानी की है. ओवर खत्म होने के बाद जब शोएब बाउंड्री के पास फील्डिंग करने गए, तो चीजें हाथ से बाहर चली गईं. भीड़ में ‘चीट-चीट’ के नारे लगने लगे और लोगों के हाथ में जो भी आया, वे गुस्से में मैदान में फेंकने लगे.
हालात इतने बिगड़ गए कि अंपायरों और मैच रेफरी को खिलाड़ियों को मैदान से बाहर ले जाने के लिए समय से पहले ही टी-ब्रेक लेना पड़ा. सुनील गावस्कर, मैच रेफरी के साथ वसीम अकरम के पास गए और उनसे अनुरोध किया कि वे भारत-पाकिस्तान के सौहार्द के लिए अपील वापस लेकर सचिन को वापस बुला लें, तभी यह एक जेंटलमैन गेम कहलाएगा. लेकिन वसीम अकरम ने अपील वापस लेने से साफ इनकार कर दिया.
इससे पहले कि कुछ और गलत होता, सचिन खुद आईसीसी चेयरमैन जगमोहन डालमिया के साथ मैदान पर आए और भीड़ को शांत करने की कोशिश की. एक घंटे बाद मैच फिर से शुरू हुआ, लेकिन सचिन के आउट होने के बाद जो भारतीय टीम मजबूत स्थिति में थी, वह बुरी तरह बिखरने लगी. अगले दिन जब मैच दोबारा शुरू हुआ, तो भारत 231 रन पर नौ विकेट खो चुका था. इससे पहले कि मैच खत्म होता, भीड़ फिर से बेकाबू हो गई. दर्शकों ने अखबारों में आग लगा दी, पत्थरबाजी की और मैदान में बोतलें फेंकी.
खिलाड़ियों की सुरक्षा को देखते हुए, 3 घंटे तक मैच रुका रहा. इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज करके 65,000 लोगों को मैदान से बाहर निकाल दिया, जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे. जो मैच सबसे ज्यादा दर्शकों की उपस्थिति के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुआ था, उसके आखिरी पल खाली स्टैंड्स के बीच खेले गए. उस सन्नाटे भरे स्टेडियम में भारत ने अपना आखिरी विकेट भी खो दिया और पाकिस्तान मैच जीत गया.
वसीम की शिकायत पर ईडन गार्डंस हो गया बैन
इस हार के बाद जब वसीम अकरम से पूछा गया कि अगर वह सचिन को वापस बुला लेते तो यह दंगा होता ही नहीं, तो उन्होंने कहा कि वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज को क्रीज पर वापस क्यों बुलाते, जबकि यह सिर्फ एक हादसा था. उन्होंने उल्टा भारतीय मीडिया पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया. इतना ही नहीं, वसीम अकरम ने ईडन गार्डन्स पर दो साल के लिए टेस्ट क्रिकेट पर बैन लगाने की मांग भी कर दी, जिसके चलते अगले दो साल तक वहां कोई मैच नहीं हुआ. रनआउट ने न सिर्फ मैच का रुख बदला बल्कि इस एक घटना ने उस विवादास्पद सीरीज को और भी यादगार बना दिया.
इस सीरीज का अगला पार्ट 31 अगस्त को आपके बीच आएगा.
ये भी पढ़ें:-
कौन हैं 4 गेदों पर 4 विकेट लेने वाले आकिब नबी? दलीप ट्रॉफी के इतिहास में झटकी पहली डबल हैट्रिक
बेंगलुरु पहुंचे शुभमन गिल, एशिया कप 2025 से पहले BCCI के इस टेस्ट को पास करना होगा जरूरी

