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शरद पवार का मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा

मुंबई : बीसीसीआई की उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की सुधार के आदेश को रोकने के खिलाफ लडाई को तब करारा झटका लगा जब अनुभवी नेता शरद पवार ने आज यहां मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. आईसीसी और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष पवार बीसीसीआई प्रशासकों में […]

मुंबई : बीसीसीआई की उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की सुधार के आदेश को रोकने के खिलाफ लडाई को तब करारा झटका लगा जब अनुभवी नेता शरद पवार ने आज यहां मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

आईसीसी और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष पवार बीसीसीआई प्रशासकों में एक बड़ा नाम है और उन्होंने लोढ़ा पैनल द्वारा बताये गये 70 साल के आयु संबंधित नियम का पालन करते हुए अपना पद छोड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि वह इस सोच से ‘आहत’ है, जिसमें वे समझते हैं कि लोग बीसीसीआई में इसलिये बने हुए हैं क्योंकि यह ‘लुभावना’ पद है. उन्होंने संघ की आपात प्रबंध समिति बैठक के दौरान अपना इस्तीफा सौंपा.

राकांपा सुप्रीमो ने एमसीए को इस्तीफा देने वाले पत्र में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला लिया है कि 70 साल के उम्र के अधिकारियों को क्रिकेट संस्थाओं में बरकरार नहीं रहना चाहिए. यह फैसला मेरे उपर भी लागू होता है. इसलिये मैं एमसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं और मैं आपसे (सचिव) से इसे स्वीकार करने का आग्रह करता हूं. ‘

एमसीए प्रबंध समिति के संयुक्त सचिव पीवी शेट्टी ने कहा कि समिति जल्द ही बैठक करेगी और फैसला करेगी कि इसे स्वीकार किया जाये या नहीं. समिति के एक अन्य सदस्य विनोद देशपांडे ने पवार द्वारा सौंपे गये पत्र को मीडिया में पढ़कर सुनाया. पवार एमसीए अध्यक्ष पद में अपनी दूसरी पारी खेल रहे थे, उन्हें पिछले साल दो साल के कार्यकाल के लिये चुना गया था. वह 2001-02 और 2010-11 के बीच एमसीए अध्यक्ष रह चुके हैं.

क्‍या है लोढ़ा समिति की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लोढ़ा समिति ने बीसीसीआइ में व्यापक बदलावों की सिफारिश की है. इसमें मंत्रियों को पद हासिल करने से रोकना, पदाधिकारियों के लिए उम्र और कार्यकाल की समयसीमा का निर्धारण और सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देना भी शामिल है. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष की पात्रता के लिए कुछ मानदंड तय किये गये हैं. इन पदों को संभालने वाला व्यक्ति भारतीय होना चाहिए. वह 70 साल से अधिक उम्र का नहीं होना चाहिए.उसे दिवालिया नहीं होना चाहिए. वह मंत्री या सरकारी नौकरी में न हो और उसने कुल नौ साल से अधिक समय तक बोर्ड का कोई पद न संभाला हो. अध्यक्ष तीन साल के दो कार्यकाल तक ही रह सकते हैं, लेकिन अन्य पदाधिकारी तीन कार्यकाल तक रह सकते हैं. सभी पदाधिकारियों के लिए प्रत्येक कार्यकाल के बीच अंतर अनिवार्य होगा.

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