नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा की अगुवाई वाली समिति ने बीसीसीआई के पदाधिकारियों से 80 से अधिक सवाल पूछे हैं. इस समिति को बीसीसीआई में प्रशासनिक सुधार की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
समिति में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश लोढा के अलावा उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक भान और आरवी रवींद्रन शामिल हैं. समिति ने बीसीसीआई से विभिन्न मुद्दों पर सवाल जवाब किए हैं जिसमें हितों का टकराव, आडिट, खाते, वित्त और पारदर्शिता जैसे मामले शामिल हैं.
बीसीसीआई से (1) संगठन, ढांचा और संबंध, (02) कार्यालय समिति और चुनाव, (03) व्यावसायिक कार्य, अनुबंध और सेवा, (04) आडिट, खाता और वित्त, (05) खिलाडी कल्याण और विवाद समाधान, (06) हितों का टकराव और (07) निरीक्षण और पारदर्शिता शीर्षक के तहत सवाल पूछे गए हैं. यह सवाल बीसीसीआई के आला अधिकारियों को भेजे गए हैं लेकिन एक अधिकारी 82 सवालों में से सिर्फ 35 का जवाब दे पाया है.
हितों का टकराव शीर्षक के अंतर्गत एक सवाल पूछा गया है कि जब आईपीएल टीम का एक खिलाड़ी या टीम अधिकारी फ्रेंचाइजी के साथ काम करता हो या अन्य टीम का मालिक हो तो क्या बीसीसीआई इसे हितों का टकराव मानता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.
इस सवाल के जवाब में कहा गया है, इंडिया सीमेंट्स-सीएसके-एन श्रीनिवासन के संदर्भ में हितों के टकराव के मौजूदा मामले के सामने आने के बाद ही लोगों को बीसीसीआई में इस तरह के मनमाने रवैये का पता चला है. इस मुद्दे पर दो ऐसे सवाल हैं जिनका कोई जवाब नहीं दिया गया है.
पहला सवाल यह है कि बीसीसीआई-आईपीएल और संबंधित पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं कि इन प्रत्येक संस्था को चलाने वालों और इसके पेशेवर प्रबंधन से जुडे लोगों के बीच हितों का टकराव नहीं हो. उपरोक्त के संदर्भ में सूचना छुपाने पर किस तरह की सजा का प्रावधान है. क्या यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए गए हैं कि हितों का टकराव नहीं हो और बोर्ड-आईपीएल प्रतिनिधियों के रिश्तेदारों-सहयोगियों को इन अनुबंधों के लिए नहीं चुना जाए.