पर्थ : टीम इंडिया ने अभ्यास के उबाउ पुराने तरीकों को तजकर 75 मिनट के सत्र में अनूठे तरीकों से अभ्यास किया और क्रिकेटरों ने इसका जमकर मजा भी लिया. ऐसा नहीं है कि अभ्यास के तौर तरीकों में आमूलचूल बदलाव किया गया लेकिन इनमें कुछ बदलाव करके इन्हें रोचक बनाया गया.
फील्डिंग के दौरान दो तरीकों पर सभी का ध्यान गया. एक डमी कैच सत्र था जो खिलाडियों के रिफ्लैक्स एक्शन बेहतर करने के मकसद से किया गया और दूसरा फील्डिंग मैच था जिसमें दो टीमें बनाई गई थी और विजेता का चयन इस आधार पर किया गया कि किसने प्लास्टिक के स्टम्प पर सबसे ज्यादा सीधे थ्रो मारे हैं.
पहला तरीका काफी रोचक था. करीबी कैच लपकने के लिये रिफ्लैक्सेस बेहतर करने के लिये टीमें टेनिस रैकेट और गेंदें इस्तेमाल करती रही हैं. सहायक कोच संजय बांगड ने हालांकि चार समूहों में खिलाडियों को बांटकर आम टेनिस गेंद सत्र से कुछ अलग किया.
यहां चार फील्डरों का समूह बांगड से दस मीटर की दूरी पर खडा था. बांगड जैसे ही अपने रैकेट से गेंद को मारते पहला फील्डर डमी होता और बाकियों को कैच लपकना था.
टेनिस गेंद के इस्तेमाल की वजह से कैच काफी उंचे आ रहे थे. कैच लपकने के लिये खिलाड़ी को एक सेकंड से भी कम समय मिलता था क्योंकि आगे खड़ा खिलाड़ी ऐन मौके पर हटता था. सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा और विराट कोहली ने इस सत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.