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डिजिटलीकरण से पहले नींव मजबूत क्यों कर रहीं ग्लोबल कंपनियां? स्टैंडर्ड चार्टर्ड रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

Standard Chartered Report: स्टैंडर्ड चार्टर्ड की ताजा डिजिटलीकरण रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वैश्विक कंपनियां एआई और डिजिटल परिसंपत्तियों को अपनाने से पहले अपनी बुनियादी डिजिटल प्रणालियों को मजबूत करने पर जोर दे रही हैं. रिपोर्ट बताती है कि क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा कनेक्टिविटी और सिस्टम इंटीग्रेशन को भविष्य के व्यापार की नींव माना जा रहा है. भारत में एआई को लेकर खासा उत्साह है, जबकि आउटसोर्सिंग और रणनीतिक साझेदारियां डिजिटलीकरण को गति देने में अहम भूमिका निभा रही हैं.

Standard Chartered Report: ग्लोबल कंपनियां डिजिटलीकरण से पहले अपनी नींव मजबूत करने में जुट गई हैं. स्टैंडर्ड चार्टर्ड की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल कंपनियां केवल एआई और डिजिटल एसेट्स के प्रचार तक सीमित नहीं रहना चाहतीं. रिपोर्ट के अनुसार, 10 में से सात कॉर्पोरेट लीडर लघु से मध्यम अवधि में इनोवेशन से पहले अपनी बुनियादी डिजिटल सिस्टम को मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं. खासतौर पर क्लाउड कंप्यूटिंग को वे भविष्य की तकनीकों की रीढ़ मानते हैं. यह रुझान इस बात को दर्शाता है कि बिना ठोस बुनियादी ढांचे के उभरती तकनीकें बड़े पैमाने पर मूल्य नहीं दे सकतीं.

एआई और डिजिटल एसेट्स की भूमिका

स्टैंडर्ड चार्टर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल एसेट्स व्यापार डिजिटलीकरण के भविष्य को आकार देने वाले शीर्ष चालकों में शामिल हैं. एक सर्वे में 55% लोगों ने एआई को और 50% लोगों ने डिजिटल एसेट्स को प्रमुख कारक बताया है. हालांकि, कंपनियां यह भी समझ रही हैं कि इन तकनीकों को प्रभावी ढंग से अपनाने के लिए डेटा, क्लाउड और सिस्टम इंटीग्रेशन जैसी आधारभूत परतों का मजबूत होना जरूरी है. यही कारण है कि फिलहाल फोकस पहले नींव, फिर इनोवेशन पर है.

भारत में एआई को लेकर बढ़ता भरोसा

भारत के संदर्भ में रिपोर्ट और भी दिलचस्प तस्वीर पेश करती है. यहां 74% कॉर्पोरेट नेताओं ने एआई को अपने शीर्ष तीन तकनीकी अपनाने के विकल्पों में रखा है. इसके बाद क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल परिसंपत्तियों का स्थान आता है. यह आशावाद सरकार की राष्ट्रीय एआई रणनीति और भारत में निवेश बढ़ा रही वैश्विक व घरेलू एआई कंपनियों से भी जुड़ा है. दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता बाजारों में से एक होने के कारण भारत में तकनीक-आधारित व्यापार समाधानों के लिए तेजी से अवसर बन रहे हैं.

आउटसोर्सिंग मॉडल की मजबूती

रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि भारत में डिजिटलीकरण का रास्ता काफी हद तक आउटसोर्सिंग से होकर गुजर रहा है. 68% भारतीय उत्तरदाता अपने डिजिटलीकरण कार्य को पूरी तरह से बाहरी एजेंसियों को सौंपते हैं, जबकि 30% हाइब्रिड मॉडल अपनाते हैं. भारत की मजबूत आईटी आउटसोर्सिंग इकोसिस्टम, लागत लाभ और सांस्कृतिक सामंजस्य इसे घरेलू कॉर्पोरेट्स के लिए आकर्षक बनाता है. जैसे-जैसे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ेगी, घरेलू स्तर पर नई साझेदारियों और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

वैश्विक सर्वे और व्यापार का भविष्य

यह रिपोर्ट 17 बाजारों में स्थित 1,200 से अधिक सी-सूट और वरिष्ठ नेताओं के सर्वे पर आधारित है. इसमें अगले तीन से पांच वर्षों के लिए उनकी व्यापार रणनीतियों और वैश्विक व्यापार के दृष्टिकोण को समझा गया है. यह सितंबर 2025 में जारी फ्यूचर ऑफ ट्रेड: रेजिलिएंस रिपोर्ट की अगली कड़ी है, जो यह बताती है कि डिजिटलीकरण अब केवल दक्षता का नहीं, बल्कि दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त का सवाल बन चुका है.

इंटरऑपरेबिलिटी और नियामक चुनौतियां

फायदों के बावजूद आधे से अधिक कॉर्पोरेट्स मानते हैं कि सिस्टम इंटरऑपरेबिलिटी की कमी और इंटीग्रेशन की जटिलताएं डिजिटलीकरण की रफ्तार को धीमा कर रही हैं. इसके साथ ही नियामक और कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियां कई व्यापार प्रक्रियाओं को अब भी कागज-आधारित सिस्टम पर निर्भर बनाए हुए हैं. यही संरचनात्मक विखंडन डिजिटल व्यापार की पूरी क्षमता को सीमित करता है.

दोहरा समाधान: नीतियां और साझेदारी

रिपोर्ट के अनुसार, इन चुनौतियों से निपटने के लिए दोहरे दृष्टिकोण की जरूरत है. डिजिटल अर्थव्यवस्था समझौतों के जरिए सीमा-पार डिजिटल व्यापार को सक्षम किया जा सकता है, जिससे सामान्य मानक और बेहतर नियामक ढांचे बनें. साथ ही, रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से प्रतिभा की कमी और लागत जैसी बाधाओं को दूर किया जा सकता है. लगभग 80% कंपनियां पहले ही तेजी से और कुशल कार्यान्वयन के लिए तीसरे पक्ष के साथ काम कर रही हैं.

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बैंकों की बढ़ती भूमिका

स्टैंडर्ड चार्टर्ड के ट्रांजेक्शन बैंकिंग के ग्लोबल हेड माइकल स्पीगल के अनुसार, डिजिटलीकरण वैश्विक व्यापार के स्वरूप को तेजी से बदल रहा है. उनका कहना है कि कनेक्टेड डेटा, अनुपालन और स्थिरता पर ध्यान देकर कंपनियां एआई और डिजिटल परिसंपत्तियों को जिम्मेदारी से स्केल कर सकती हैं. 80% से अधिक लोग डिजिटलीकरण पर मार्गदर्शन के लिए बैंकिंग भागीदारों की ओर देख रहे हैं, जो यह दिखाता है कि भविष्य का डिजिटल व्यापार सहयोग और मजबूत नींव पर ही टिकेगा.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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