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कोहली की आक्रामकता बतौर बल्लेबाज उनके काफी काम आ रही है : रवि शास्त्री

सिडनी : भारतीय क्रिकेट टीम के निदेशक रवि शास्त्री ने मैदान पर नये कप्तान विराट कोहली के आक्रामक तेवरों का मजबूती से बचाव करते हुए कहा है कि इससे वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाता है. शास्त्री ने एक इंटरव्यू में कहा कि कोहली की आक्रामकता बतौर बल्लेबाज उनके काफी काम आ रही है और […]

सिडनी : भारतीय क्रिकेट टीम के निदेशक रवि शास्त्री ने मैदान पर नये कप्तान विराट कोहली के आक्रामक तेवरों का मजबूती से बचाव करते हुए कहा है कि इससे वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाता है.

शास्त्री ने एक इंटरव्यू में कहा कि कोहली की आक्रामकता बतौर बल्लेबाज उनके काफी काम आ रही है और वह मौजूदा टेस्ट श्रृंखला में तीन शतक जड चुके हैं. उन्होंने कहा कि उनके खेलने के तरीके पर पूरा ऑस्ट्रेलिया उनका मुरीद हो चुका है.

उन्होंने महेंद्र सिंह धौनी के टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास के फैसले को निस्वार्थ बताते हुए कहा कि इसका सम्मान किया जाना चाहिये. उन्होंने इन अटकलों को भी खारिज किया कि कोहली और उनकी बढ़ती नजदीकियों की वजह से धौनी ने टेस्ट क्रिकेट से तुरंत प्रभाव से विदा ली. उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला के बीच में अचानक संन्यास का धौनी का फैसला उनके और टीम के लिये हैरानी भरा था.
पूरा इंटरव्यू इस प्रकार है.
सवाल : विराट कोहली अगले कप्तान हैं. क्या आपको लगता है कि उन्हें अपनी आक्रामकता पर थोडा अंकुश लगाना चाहिये ?
जवाब : उसकी आक्रामकता में क्या गलत है ? यदि वह तीन टेस्ट में सिर्फ पांच रन बनाता तो मैं उससे बात करता. लेकिन वह श्रृंखला में 500 रन पूरे करने से सिर्फ एक रन पीछे है लिहाजा वह सही रास्ते पर है जो टीम के और उसके लिये उपयोगी साबित हो रहा है. वह आक्रामक क्रिकेटर है और इन तेवरों के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है.
मेलबर्न में सर विवियन रिचर्ड्स ने उसके तेवरों की तारीफ की थी. पूरा ऑस्ट्रेलिया उसका मुरीद हो गया है क्योंकि उन्होंने अर्से से ऐसा कोई क्रिकेटर नहीं देखा जो उनके देश में उनके खिलाफ इतना आक्रामक रहा हो. विराट युवा है और युवा कप्तान है लिहाजा वह समय के साथ सीखेगा. वह बेहतर क्रिकेटर के रुप में परिपक्व होगा.
सवाल : उस पल के बारे में बताइये जब एम एस धोनी ने टीम के सामने अपने संन्यास का ऐलान किया ? ड्रेसिंग रुम की प्रतिक्रिया क्या थी ?
जवाब : सभी हैरान थे. मैच खत्म हो चुका था और वह मैच के बाद की गतिविधियां पूरी करके आया था. वह ड्रेसिंग रुम में आया और कहा कि टेस्ट क्रिकेट में उसका समय पूरा हो चुका है. हम सभी स्तब्ध रह गए. जिस तरीके से उसने कहा , उससे जाहिर था कि यह सोच समझकर लिया गया फैसला है. उसने अपने परिवार से भी पहले साथी खिलाडियों को बताया. वह हमारे साथ ईमानदार रहा और मेरी नजर में उसकी इज्जत कई गुना बढ गई.
हम सभी के लिये यह हैरानी भरी खबर थी. उसे पता था कि क्या कहना है और वह इसके प्रति ईमानदार था. धौनी भारत के महानतम क्रिकेटरों में से है. उसने कभी आंकडों का पीछा नहीं किया. वह खुद के साथ ईमानदार रहा और टीम इसके लिये उसका सम्मान करती है. उसने इस युवा टीम के सामने मिसाल कायम की है.
सवाल : आपने कमेंटरी बाक्स से धौनी को देखा और फिर टीम निदेशक के तौर पर भी. आप टेस्ट कप्तान के रुप में उसे कैसे देखते हैं , खासकर 2011-12 में 8.0 से मिली हार और विदेश में टेस्ट क्रिकेट में रिकार्ड को ध्यान में रखते हुए
जवाब : उसके लिये यह कठिन काम था. विदेश में टेस्ट क्रिकेट में 20 विकेट लेना सबसे अहम है. हाल ही में भारत जीत के करीब पहुंचा लेकिन जीत नहीं सका. दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में भी जीत सकते थे. यहां भी तीनों मैचों में अच्छा खेला और कोई भी जीत सकते थे. यह युवा टीम है जो अभी सीख रही है.
धौनी को हम जानते हैं और वह जीतना चाहता था लेकिन उसे लगा कि टेस्ट क्रिकेट में उसका समय पूरा हो गया है. उसे लगा कि खेलते रहकर वह टीम के साथ इंसाफ नहीं करेगा. उसने देखा कि कोहली कमान संभालने को तैयार है और रिधिमान साहा विकेट के पीछे उसकी जगह ले सकता है. उसने देखा कि भविष्य सुरक्षित हाथों में है.
धौनी ने अपना सब कुछ भारतीय क्रिकेट को दिया, हर प्रारुप में. मुझे यकीन है कि वह कुछ साल और राजा की तरह वनडे क्रिकेट खेलेगा और विरोधी टीमों को नाकों चने चबवा देगा.
सवाल : दिसंबर 2012 में नागपुर में इंग्लैंड से हारने के बाद धोनी ने 2013 के आखिर में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के संकेत दिये थे लेकिन उन्होंने पूरे एक साल इसका इंतजार किया. आपको इसके पीछे क्या कारण नजर आता है ?
जवाब : मुझे लगता है कि उसने काफी सोच समझकर यह फैसला किया. पिछले एक साल में इस टीम पर काफी मेहनत की गई है और उसे लगा कि यह समय एक युवा कप्तान को कमान सौंपने का है. उसने यह सुनिश्चित किया कि उसके जाने के बाद कप्तानी को लेकर अटकलबाजी ना हो. वह बिना कारण नहीं जा रहा है और ना ही टाइमिंग खराब है. यह धौनी का निस्वार्थ फैसला है.
देश के लिये 25 साल खेलने के बाद सचिन तेंदुलकर अपवाद थे और सही भी है लेकिन अतीत में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जो आंकडों के लिये खेले या भव्य विदाई समारोह की ख्वाहिश में खेलते रहे. लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्हें इसकी चाह नहीं थी और धौनी उन्हीं में से एक है.

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