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Ball tampering : स्मिथ-वॉर्नर की अभी और दुर्गति होगी

-अनुज कुमार सिन्हा- अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे. बहुत दिनों के बाद अॉस्ट्रेलियाई खिलाड़ी फंसे हैं. अब तक गलती पर गलती कर, बेईमानी, छल कपट कर ये अॉस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बचते रहे हैं. बहुत हुआ तो मैच फी कटता है या एक मैच का प्रतिबंध. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में बेनक्रॉफ्ट ने […]

-अनुज कुमार सिन्हा-

अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे. बहुत दिनों के बाद अॉस्ट्रेलियाई खिलाड़ी फंसे हैं. अब तक गलती पर गलती कर, बेईमानी, छल कपट कर ये अॉस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बचते रहे हैं. बहुत हुआ तो मैच फी कटता है या एक मैच का प्रतिबंध. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में बेनक्रॉफ्ट ने गेंद से छेड़छाड़ (टेंपरिंग) की. अपने मन से नहीं, पूरी योजना बनी थी. कप्तान स्मिथ और डेविड वार्नर का दिमाग इसके पीछे था. पूरी तैयारी की थी. यानी किसी तरीके से मैच जीतना है, चाहे इसके लिए अनैतिकता का सहारा क्यों न लेना पड़े.

हिम्मत देखिए स्मिथ की उसने सार्वजनिक तौर पर स्वीकारा कि उनकी टीम ने टेंपरिंग की योजना बनायी थी. (ऐसे मत समझ लीजिए कि बड़ा सत्यवादी है स्मिथ. अगर टेंपरिंग की तो स्वीकार भी कर लिया.) इन खिलाड़ियों की हिम्मत देखिए. दर्जनों कैमरे लगे रहते हैं जो हर खिलाड़ी की हर गतिविधि को कैच करते हैं. ऐसे में चालाक से चालाक खिलाड़ी भी कोई गलत हरकत करेगा तो पकड़ा जायेगा ही. पकड़ा भी गया. मैदान पर गेंद को रगड़कर खराब करने की हिम्मत करना भी कम बड़ा हिम्मत का काम नहीं है.

यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें अॉस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने क्रिकेट के पवित्र खेल को बदनाम किया है. झूठ, फरेब और अकड़पन उस टीम की खासियत रही है. हरभजन सिंह पर झूठा आरोप लगा कर प्रतिबंध लगा दिया था. गांगुली को भी दंडित किया गया था. इस बार स्मिथ-वार्नर को कप्तान और उपकप्तान से तो हटा दिया लेकिन जिस खिलाड़ी ने गेंद के साथ छेड़छाड़ की, उस खिलाड़ी यानी बेनक्रॉफ्ट को मैच फीस का 75 फीसदी जुर्माना कर छोड़ दिया गया. इतना से काम नहीं चलनेवाला. फीस काटना कोई बड़ी सजा नहीं है. ऐसे खिलाड़ियों को मैच से बाहर करना चाहिए अगर क्रिकेट में ऐसी घटनाओं को रोकना है.

दुनिया के कई देशों के खिलाड़ी पहले भी कुछ न कुछ ऐसा करते रहे हैं. 1976-77 में टॉनी ग्रेग की टीम भारत आयी थी. इसमें एक गेंदबाज थे जॉन लीवर. वेसलीन लगा कर गेंदबाजी करते वह पकड़ा गया था. सिर में एक पट्टा बांध कर उसमें वेसलीन छिपा कर रखा था. उसी पट्टा से वेसलीन निकाल कर गेंद पर लगाकर लीवर भारतीय खिलाड़ियों के विकेट ले रहा था. अंतत: पकड़ा गया था और उसके खिलाफ कार्रवाई हुई थी. तब न तो इतने कैमरे होते थे और न ही इतनी उन्नत तकनीक. आज तो ऐसे काम करनेवाले पकड़े जायेंगे ही, समय कुछ क्यों न लगे.

इस बार क्रिकेट अॉस्ट्रेलिया गंभीर दिख रहा है. खुद वहां के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल कड़ी कार्रवाई के पक्ष में हैं. इसलिए संभव है कि स्मिथ और वार्नर पर लंबे समय के लिए प्रतिबंध लगे. यह प्रतिबंध एक साल तक का हो सकता है. दस दिन बाद आइपीएल खेलने के लिए स्मिथ और वार्नर भारत आनेवाले हैं. इज्जत बचाने के लिए स्मिथ ने राजस्थान रॉयल की कप्तानी छोड़ दी है. संभव है वार्नर को भी छोड़ना पड़े.

इसमें कोई दो राय नहीं कि दोनों अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन सिर्फ अच्छा खेलने से सब कुछ अच्छा नहीं होता. नैतिकता उससे बड़ी चीज है, जो इन खिलाड़ियों में नहीं है. किसी भी हाल में मैच जीतना है चाहे इसके लिए कुछ भी करना क्यों न पड़े. विपक्षी खिलाड़ियों और अंपायर से लड़ जाना इनकी आदत है. ऐसी आदत सुधर जायेगी अगर कड़ी कार्रवाई होने लगे. अगर क्रिकेट अॉस्ट्रेलिया इन खिलाड़ियों पर एक साल-पांच या दस मैच का प्रतिबंध लगाता है, तो आइपीएल की प्रबंध समिति चुप नहीं बैठेगी. कार्रवाई करेगी ही.

ऐसे में इन दोनों के आइपीएल खेलने पर रोक लगेगी ही. लगना भी चाहिए. अभी तो कोच लेहमन भी जायेंगे. अगर ड्रेसिंग रूम में कोई योजना बनती है तो इस साजिश में कप्तान से लेकर कोच और कई खिलाड़ी भी शामिल होंगे. जिनका-जिनका नाम सामने आयेगा, सभी को दंडित करने से पूरी दुनिया को यह संदेश जायेगा. इसलिए बेहतर है कि स्मिथ-वार्नर और बेनक्रॉफ्ट को लंबे समय के लिए बैन किया जाये. मैच फिक्सिंग ने भारत के कई दिग्गज खिलाड़ियों का खेल जीवन ही समाप्त कर दिया था. अॉस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को क्यों बख्शा जाये?

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