Premanand Ji Maharaj: हर इंसान भगवान की पूजा करते समय आमतौर पर कोई न कोई मनोकामना जरूर मांगता है. भक्त को विश्वास होता है कि भले ही कोई उसकी बात न सुने, लेकिन भगवान उसकी विनती जरूर सुनेंगे और उसकी इच्छाएं पूरी करेंगे. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हमारी कई मनोकामनाएं पूरी नहीं होतीं. हमें वह नहीं मिल पाता, जिसकी हमें चाह होती है. ऐसे में मन में तरह-तरह के नकारात्मक विचार आने लगते हैं और हम सवाल करने लगते हैं, भगवान हमारी नहीं सुन रहे हैं? हमारी इच्छाएं आखिर कब पूरी होंगी? इसी विषय पर प्रेमानंद जी महाराज क्या कहते हैं, आइए जानते हैं.
भगवान हमारी मनोकामनाएं कब पूरी करेंगे?
इस सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज कहते हैं—भगवान तुम्हारी इच्छाएं क्यों पूरी करें? भगवान तुम्हें क्यों कुछ दें? तुमने ऐसा क्या किया है? क्या तुमने तीर्थ यात्रा की? क्या हर सुख-दुख में उन्हें याद किया? क्या पूजा-पाठ, मंत्र उच्चारण किया, उपवास और व्रत रखे, तपस्या की? क्या तुमने कभी बिना स्वार्थ, सच्चे मन से भगवान की पूजा की?अगर नहीं, तो भगवान तुम्हारी इच्छाएं क्यों पूरी करेंगे?
भगवान दो स्थितियों में भक्त की इच्छा पूरी करते हैं
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भगवान दो स्थितियों में भक्त की इच्छा पूरी करते हैं. पहली स्थिति अपनापन की होती है. इसे समझाते हुए वे उदाहरण देते हैं- मान लीजिए यह संसार एक दुकान है और भगवान उसके मालिक हैं. उस दुकान में हर इंसान का जीवन लिखा हुआ है. जब कोई सामान्य ग्राहक दुकान पर जाता है, तो दुकानदार उससे कीमत मांगता है और फिर सामान देता है. लेकिन जब घर का कोई सदस्य दुकान पर आता है और कुछ मांगता है, तो उससे कुछ नहीं लिया जाता, क्योंकि वह अपना होता है.
भगवान को अपना बनाएं
इसी तरह भगवान भी तभी देते हैं, जब भक्त उनसे अपनापन बना ले. इसलिए भगवान को अपना मित्र बनाएं, आप उनके दास बनें या फिर तपस्या, पूजा, उपवास और अनुष्ठान के माध्यम से उन्हें अपना बनाएं. तब भगवान आपकी इच्छाएं पूरी करते हैं.
भगवान से यह कहना सही नहीं है
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भगवान के पास सब कुछ है. उनसे यह कहना कि “मुझे यह दे दो, मैं लड्डू चढ़ाऊंगा या दीया जलाऊंगा” यह सही नहीं है. यह तो किसी दास से कहने जैसी बात है, भगवान से नहीं. भगवान ने इस पूरे संसार की रचना की है, उनके पास जगत की हर वस्तु पहले से ही मौजूद है.
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