Premanand Ji Maharaj: आजकल के समय में कॉलेज और स्कूल के छात्रों के बीच गाली-गलौच और गंदी बातें आपस में करना आम हो गया है. कई छात्र छोटी-छोटी बातों पर गालियां देने लगते हैं. यहां तक कि कई बार तो अपने दोस्तों को बुलाने के लिए भी गालियों का इस्तेमाल करते हैं. छात्रों के बीच अभद्र भाषा का प्रयोग इतना कॉमन हो गया है कि धीरे-धीरे लोग इसे आम बात समझने लगे हैं. लेकिन क्या छात्रों का यूं गालियां और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना उचित है? क्या परिवार को उनकी इस आदत को नजरअंदाज करना चाहिए? क्या इसका उन पर और परिवार पर कोई बुरा असर पड़ता है? आइए जानते हैं इस पर प्रेमानंद जी महाराज का क्या कहना है.
छात्रों के बीच बढ़ती गाली देने की आदत
प्रेमानंद जी महाराज ने छात्रों की गाली और अभद्र भाषा बोलने की आदत पर बात करते हुए कहा कि यह बहुत ही गलत और गंदी आदत है. छात्रों को ऐसा नहीं करना चाहिए. यह शायद आपको लगे कि कोई बड़ी दिक्कत की बात नहीं है, लेकिन यह आदत धीरे-धीरे स्वभाव को खराब करने लगती है. इससे हानि होती है. आप मजाक और मनोरंजन के लिए भी ऐसा न करें.
छात्र जीवन में क्या करना चाहिए?
उनका कहना है कि छात्रों का जीवन तपस्वी जीवन होता है. इस समय उन्हें स्वयं पर कार्य कर अच्छी आदतें, व्यवहार और ज्ञान प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए और उच्च स्थानों पर अपने लिए जगह बनानी चाहिए. जो इंसान छात्र जीवन में गलत आदतों में पड़ जाता है, उसे जीवन में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
सजा के योग्य होते है ऐसे छात्र
वह कहते हैं कि जो छात्र ज्ञान अर्जित करने के इस समय हस्तमैथुन करता है, प्रेमी-प्रेमिका बनाने के बाद व्यभिचार यानी दूसरों के साथ गलत संबंध बनाता है और गालियां देता है, वह छात्र नहीं होता है. वह विकृत स्वभाव का बच्चा होता है. वह दंडनीय, यानी सजा देने के योग्य बच्चा होता है.
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