13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Valmiki Jayanti 2025: आज मनाई जा रही है रामायण रचयिता ऋषि वाल्मीकि की जयंती, यहां से जानें उनका असली नाम और कैसे हुआ जीवन परिवर्तन

Valmiki Jayanti 2025: आज अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि पर पूरे देश में महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है. वाल्मीकि जी को रामायण के रचयिता और संस्कृत के आदिकवि के रूप में जाना जाता है. आइए जानें उनका असली नाम क्या था और कैसे एक लुटेरे रत्नाकर से वे बने महान ऋषि वाल्मीकि.

Valmiki Jayanti 2025: इस वर्ष आज 7 अक्टूबर, मंगलवार को पूरे देश में महर्षि वाल्मीकि जयंती बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन महर्षि वाल्मीकि का जन्म हुआ था. वे संस्कृत के महाकवि और रामायण के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं. हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को यह पर्व मनाया जाता है.

वाल्मीकि का प्रारंभिक नाम और उत्पत्ति क्या थी?

महर्षि वाल्मीकि का असली नाम ‘अग्नि शर्मा’ बताया गया है. ‘वाल्मीकि’ शब्द का अर्थ होता है — जो वाल्मीक (चींटियों के बिल या पहाड़ी) से उत्पन्न हुआ हो. कथा के अनुसार, जब वे गहन तपस्या में लीन थे, तब उनके चारों ओर चींटियों ने विशाल बिल बना लिया था. इसी कारण उन्हें ‘वाल्मीकि’ नाम से जाना गया. बाद में उन्होंने जब महाकाव्य रामायण की रचना की, तो वे आदिकवि (पहले कवि) के रूप में प्रसिद्ध हुए.

महर्षि वाल्मीकि का महत्व क्या है

महर्षि वाल्मीकि को संस्कृत साहित्य का जनक और पहले कवि (आदिकवि) माना जाता है. उन्होंने रामायण जैसी अमर रचना की, जो धर्म, नीति और आदर्श जीवन का आधार मानी जाती है. उनके जीवन और उपदेशों से समाज को सत्य, न्याय और करुणा का मार्गदर्शन मिलता है. कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, उनका जन्म वरुण और चर्षिणी के घर हुआ था.

वाल्मीकि का असली नाम क्या था?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, वाल्मीकि का असली नाम ‘रत्नाकर’ था. वे पहले एक लुटेरे के रूप में जीवन जीते थे. एक बार उन्होंने देवर्षि नारद को लूटने की कोशिश की, तब नारद मुनि ने उनसे पूछा — क्या तुम्हारा परिवार तुम्हारे पापों का फल भोगने को तैयार है? जब रत्नाकर ने अपने परिवार से यह प्रश्न किया, तो किसी ने भी पाप का भार साझा करने से इनकार कर दिया. इस घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी.

ये भी पढें: Happy Valmiki Jayanti 2025 Wishes: जिनसे मिली हमें सद्गति और पवित्रता … यहां से अपनों को भेजें वाल्मीकि जयंती की बधाई 

नारद मुनि से मुलाकात ने रत्नाकर के जीवन को कैसे बदला?

नारद मुनि की बातों से रत्नाकर का हृदय परिवर्तन हो गया. उन्होंने पश्चाताप करते हुए नारद मुनि से क्षमा मांगी और उनके निर्देश पर भगवान श्रीराम का नाम जपना प्रारंभ किया. कठोर तपस्या और नामस्मरण के बल पर वे महर्षि वाल्मीकि के रूप में प्रख्यात हुए. उनके जीवन की यह कथा बताती है कि सच्चे पश्चाताप और भक्ति से कोई भी व्यक्ति महानता की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel