Sita Navami 2025: जब भी रामायण की बात होती है, ज्यादातर लोगों की नजर भगवान राम, लक्ष्मण और हनुमान जैसे वीरों पर जाती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस महान कथा के केंद्र में एक ऐसी शक्ति भी रही, जो न तो हथियार लेकर लड़ी और न ही जोर से कुछ कहा फिर भी पूरी कहानी की दिशा बदल दी? वो शक्ति थीं माता सीता. सीता नवमी यानी माता सीता का जन्मदिन, एक ऐसा दिन है जो हमें बताता है कि सच्ची ताकत कभी-कभी शांति, सहनशीलता और आत्मबल में भी होती है. ये दिन हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 7 मई 2025 को पड़ेगा. जैसे राम नवमी पर भगवान राम के जन्म का उत्सव होता है, वैसे ही सीता नवमी पर माता सीता के जीवन और मूल्यों का सम्मान किया जाता है.
कौन थीं माता सीता?
मिथिला के राजा जनक ने जब हल से धरती जोती, तो भूमि से एक दिव्य कन्या प्राप्त हुई, वही थीं भूता की बेटी “भूमिजा”, जनक नंदिनी “जानकी”, जिन्हें हम आज माता सीता के नाम से जानते हैं. कहा जाता है कि वह देवी लक्ष्मी का अवतार थीं और भगवान राम की पत्नी बनीं. वह केवल एक रानी नहीं, बल्कि धैर्य, पवित्रता और धर्म का जीता-जागता स्वरूप थीं.
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आज के समय में सीता नवमी क्यों है जरूरी?
आज के दौर में जहां बाहरी सफलता, ताकत और दिखावा ज्यादा मायने रखता है, सीता नवमी हमें याद दिलाती है कि असली शक्ति भीतर से आती है. माता सीता ने अपने जीवन में राजा की बेटी, वनवासी स्त्री, बंदिनी और अंत में एक त्यागी मां तक की भूमिका निभाई, बिना शिकायत के, लेकिन पूरे आत्मविश्वास और मर्यादा के साथ.
उनका जीवन हमें सिखाता है कि अगर मन और कर्म सही हों, तो बिना शस्त्र उठाए भी कोई दुनिया बदल सकता है. वह नारी शक्ति की वो मिसाल हैं, जो संघर्ष में भी शांत रही और फैसलों में भी मजबूत.
कब है सीता नवमी 2025?
सीता नवमी सिर्फ एक पर्व नहीं, एक प्रेरणा है. यह हमें सिखाता है कि अगर आपके भीतर संयम, धैर्य और सच्चाई है, तो कोई भी परिस्थिति आपको नहीं हिला सकती. माता सीता का जीवन एक मिसाल है उन सभी के लिए जो बिना आवाज उठाए भी बदलाव ला सकते हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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