Shardiya Navratri 2025: सनातन परंपरा में शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) का विशेष महत्व है. इस पावन अवधि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना और व्रत करने का विधान है. नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है और जौ बोए जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि जौ बोने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है तथा मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है.
घट स्थापना का महत्व
नवरात्र की शुरुआत घट स्थापना से होती है, जिसे शुभ कार्यों की शुरुआत और शक्ति साधना का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि कलश में देवताओं का वास होता है और इसे स्थापित करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
शारदीय नवरात्र 2025 घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
- प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 22 सितंबर 2025
- प्रतिपदा तिथि समाप्त: 23 सितंबर 2025, रात 02:55 बजे
- घट स्थापना का मुहूर्त: सुबह 06:09 से 08:06 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:49 से दोपहर 12:38 बजे तक
- इन दोनों मुहूर्तों में घट स्थापना और जौ बोना अत्यंत शुभ माना जाएगा.
जौ बोने की सामग्री
- जौ
- जल
- मिट्टी या रेत
- मिट्टी का पात्र या कटोरा
जौ बोने की विधि
- सबसे पहले जौ को अच्छी तरह साफ करें.
- मिट्टी के पात्र पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं.
- उसमें मिट्टी या रेत भरें.
- जौ डालकर ऊपर से जल छिड़कें.
- रोजाना पूजा के समय जौ पर हल्का जल छिड़कें.
- नवरात्र समाप्ति के बाद जौ को पवित्र नदी में प्रवाहित करें.
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जौ बोने से जुड़ी मान्यताएं
नवरात्र में जौ बोने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है. जौ की बढ़त पूजा की सफलता और भविष्य की शुभता का संकेत मानी जाती है.
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कलश स्थापना की विधि
- स्नान करके पूजा स्थल को स्वच्छ करें.
- गंगाजल से स्थान का शुद्धिकरण करें.
- हल्दी से अष्टदल कमल बनाएं.
- कलश में जल और गंगाजल भरें.
- सिक्का, फूल और अक्षत डालें.
- नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर कलश पर रखें.
- कलश पर रोली से तिलक करें और मां दुर्गा का ध्यान करें.

