Rath Saptami 2025: हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, जो सूर्य देव को समर्पित है. उदया तिथि के अनुसार रथ सप्तमी का पर्व आज 4 फरवरी को मनाया जा रहा है. इसके अगले दिन भीष्म अष्टमी का उत्सव भी मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रथ सप्तमी भगवान सूर्य को कैसे समर्पित है? आइए, रथ सप्तमी के उत्सव के पीछे के कारणों को समझते हैं.
रथ सप्तमी का उत्सव क्यों मनाया जाता है?
रथ सप्तमी मुख्यतः भगवान सूर्य देव के सम्मान में मनाया जाने वाला पर्व है, जो प्रायः फरवरी या मार्च के महीने में आता है. इसे भगवान सूर्य के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, इसलिए इसे सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति के गर्भ से सूर्य का जन्म हुआ था, इसीलिए इसे सूर्य जयंती कहा जाता है.
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माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर सूर्य देव का अवतरण हुआ था, जिसके कारण रथ सप्तमी या सूर्य जयंती का आयोजन किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है, और सभी विघ्न दूर होते हैं. इस प्रकार, सूर्य देव की उपासना वैदिक काल से निरंतर होती आ रही है.
रथ सप्तमी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, रथ सप्तमी के दिन स्नान का शुभ समय सुबह 5:23 बजे से 7:08 बजे तक रहेगा. इस अवधि में श्रद्धालु स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य और पूजन कर सकते हैं.
रथ सप्तमी पूजा की विधि
रथ सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद तांबे के कलश में जल भरकर दोनों हाथों से सूर्य देव को धीरे-धीरे अर्घ्य अर्पित करें. इस समय भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करना न भूलें. अर्घ्य अर्पित करने के बाद घी का दीपक जलाएं और सूर्य देव की पूजा करें. इसके साथ ही लाल रंग के फूल, धूप और कपूर का उपयोग अवश्य करें. ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सफलता के नए मार्ग खुलते हैं.