Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष एक पवित्र और विशेष अवधि है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर अश्विन मास की अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है. इसे पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित माना जाता है. इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म अत्यंत महत्व रखते हैं. शास्त्रों में इसे अशुभ काल कहा गया है क्योंकि यह मृत्यु से जुड़े संस्कारों से संबंधित है.
गरुड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध और तर्पण से तीन पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. महाभारत की कर्ण कथा भी इसका प्रमाण है. कथा के अनुसार, स्वर्ग में कर्ण को भोजन न मिलने पर उन्हें 15 दिन के लिए पृथ्वी पर भेजा गया, ताकि वे अन्नदान कर सकें. तभी से यह मान्यता प्रचलित है कि पितृपक्ष में दान और तर्पण से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
पितृ पक्ष 2025 की तिथियां
वर्ष 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर से आरंभ होकर 21 सितंबर तक चलेगा. इन 15 दिनों को पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने के लिए सर्वोत्तम काल माना जाता है. मान्यता है कि इस दौरान नियमों का पालन न करने और वर्जित कार्य करने से जीवन में नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, जैसे धन की हानि, घर में बीमारियां और मानसिक अशांति.
पितृ पक्ष में वर्जित कार्य
- तामसिक भोजन जैसे लहसुन-प्याज, मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है.
- नए कपड़े, आभूषण, सोना-चांदी या अन्य कीमती सामान नहीं खरीदना चाहिए.
- नया घर, दुकान, ऑफिस का निर्माण या गृह प्रवेश करना अशुभ माना जाता है.
- नया वाहन, टीवी या मशीनरी जैसी वस्तुएं इस समय नहीं खरीदनी चाहिए.
- बाल, दाढ़ी और नाखून कटवाना भी वर्जित है.
- विवाह, सगाई, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.
- लोहे या लकड़ी के बर्तनों का उपयोग करने से बचना चाहिए.
- घर में टूटी घड़ी या नकारात्मक ऊर्जा देने वाली वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए.
- श्राद्ध पक्ष में शरीर पर साबुन, तेल, इत्र आदि का प्रयोग सीमित रखना चाहिए.
- यज्ञ, हवन जैसे अन्य धार्मिक आयोजन भी इस समय निषिद्ध माने गए हैं.

