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Jitiya Vrat 2025: पहली बार कर रही हैं जीवित्पुत्रिका व्रत? जानें जरूरी नियम क्या करें और क्या नहीं

Jitiya Vrat 2025: जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाने वाला प्रमुख व्रत है. पहली बार यह व्रत करने वालों के लिए विशेष नियम बताए गए हैं. इस दिन व्रती को क्या करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए, यह जानना बेहद जरूरी माना जाता है.

Jitiya Vrat 2025: हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत हैं जो माताओं के अपनी संतान के प्रति अगाध प्रेम को दर्शाते हैं. इन्हीं विशेष पर्वों में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे आम बोलचाल में जितिया व्रत के नाम से जाना जाता है. बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में यह व्रत पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतानों की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. साल 2025 में यह व्रत 14 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा.

जितिया व्रत का महत्व

यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान जीमूतवाहन की विधि-विधान से पूजा करने से संतान पर आने वाली हर विपदा टल जाती है. माना जाता है कि भगवान जीमूतवाहन स्वयं संतान की रक्षा करते हैं और उन्हें दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

जितिया व्रत 2025: शुभ मुहूर्त

व्रत का पालन करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है.

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 14 सितंबर 2025, सुबह 5:04 बजे से
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 15 सितंबर 2025, रात 3:06 बजे तक

माताएं इस पूरे समय में निर्जला उपवास रखती हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करती हैं.

 पहली बार कर रही हैं जीवित्पुत्रिका व्रत? जानें जरूरी नियम क्या करें और क्या नहीं

व्रत के नियम और पूजा विधि

  • यह व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती. अगर आप पहली बार यह व्रत कर रही हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
  • व्रत की शुरुआत शांत मन और शुद्ध विचार के साथ करें.
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें.
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें और घी का दीपक जलाकर भगवान जीमूतवाहन की आरती करें.
  • पूरे दिन व्रत कथा सुनें और मंत्रों का जाप करें.
  • पूजा के बाद भगवान को फल और मिठाइयों का भोग लगाएं.
  • व्रत के दौरान किसी भी तरह के विवाद या नकारात्मक विचारों से दूर रहें.

दान का महत्व

व्रत पूर्ण होने के बाद दान का विशेष महत्व होता है. व्रत का पारण करने से पहले अनाज, वस्त्र और तिल जैसी वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना जाता है. इससे व्रत का पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है और संतान के जीवन में सुख-शांति आती है.

जितिया व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह माताओं के अपने बच्चों के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण का एक सच्चा प्रतीक है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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